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उत्कीर्ण वि०सं० १४८३ वैशाख सुदि८७ और भाद्रपद वदि ७ के कई लेखों के बारे में कही जा सकती है। यहाँ भी सोमसुन्दरसूरि, जयचन्द्र, भुवनसुन्दर और जिनसुन्दर के साथ मुनिसुन्दरसूरि का उल्लेख है। यही बात उक्त तीर्थ पर निर्मित महावीर जिनालय के देहरी क्रमांक ७ पर उत्कीर्ण वि०सं० १४८७ पौष सुदि २ रविवार के शिलालेख " में भी दिखाई देती है।
आचार्य मुनिसुन्दरसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित कुछ जिनप्रतिमायें भी प्राप्त हुई हैं जो वि० सं० १४८९ से लेकर वि०सं० १५०१ तक की है। इनका विवरण निम्नानुसार है:
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