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२८६ _ आचार्य शांतिसागरसूरि के पश्चात् इस शाखा में कौन-कौन से मुनिजन हुए, अथवा उनके पश्चात् यह शाखा आगे चली या नहीं, इस बारे में जानकारी हेतु हमारे पास कोई भी साक्ष्य नहीं है। साक्ष्यों के अभाव में यह स्वीकार करना पड़ता है कि २०वीं शती के प्रथम चरण के पश्चात् इस शाखा का स्वतंत्र अस्तित्त्व समाप्त हो गया होगा और इसके अनुयायी तपागच्छ की किन्हीं अन्य शाखाओं में सम्मिलित हो गये होंगे।
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