Book Title: Tapagaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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नवतत्त्वबालावबोध
वि०सं० १७३९ रणसिंहराजर्षिरास
वि०सं० १७४० श्रमणसूत्रबालावबोध
वि०सं० १७४३ प्रश्नद्वात्रिंशिकास्तोत्रं स्वोपज्ञबालावबोधयुक्त वि०सं० १७४५ श्रीपालचरित
वि०सं० १७४५ साढात्रणसौगाथानास्तवनोबालावबोध दसदृष्टान्तनीसज्झाय प्रश्नव्याकरणसूत्रवृत्ति संसारदावानलस्तुतिवृत्ति बारव्रतग्रहणरास
वि०सं० १७५० रोहिणीअशोकचन्द्ररास
वि०सं० १७५० दीवालीकल्पबालावबोध
वि०सं० १७६३ १६. आनन्दघनचौबीसीबालावबोध
वि०सं० १७६९ त्रणभाष्यबालावबोध
वि०सं० अध्यात्मकल्पद्रुमबालावबोध
वि० सं० १७७० १९. चन्द्रकेवलीरास अपरनाम आनन्दमंदिररासवि० सं० १७७० २०. पाक्षिकसूत्रबालावबोध
वि०सं० १७७३ २१. योगदृष्टिनीसज्झायबालावबोध २२. पर्युषणमहापर्वनीसज्झाय २३.
शांतिनाथकलश पार्श्वनाथकलश
साधुवन्दना अपरनाम गुरु-परम्परा ढाल (रचनाकाल वि०सं० १७२८) में इन्होंने अपनी लम्बी गुर्वावली दी है, जो इस प्रकार है :
जगच्चन्द्रसूरि (तपागच्छ के प्रवर्तक)
१७.
.........
१८.
आनन्दविमलसूरि
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