________________
२९८
सकती है जिसका श्रीदेसाई ने उल्लेख किया है । ६
वस्तुतः विजयलक्ष्मीसूरि के पश्चात् इस शाखा में कोई प्रभावशाली मुनि या आचार्य नहीं हुए अतः शीघ्र ही इसका अस्तित्त्व समाप्त हो गया प्रतीत होता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org