Book Title: Tapagaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 326
________________ २३. २४. २५. २६. ३०० देसाई, पूर्वोक्त, भाग ३, पृष्ठ २३-७९. वही, भाग ३, पृष्ठ १५७. प्रशस्तिसंग्रह, भाग २, प्रशस्तिक्रमांक ७४६, पृष्ठ १८७. २७. २८. २९. A.P. Shah, Catalogue of Sanskrit......, Part-I, No. 3650, P-203. प्रशस्तिसंग्रह, भाग २, प्रशस्तिक्रमांक ८९२, पृष्ठ २३९. ३०. ३१-३२. शीतिकंठ मिश्र, हिन्दीजैनसाहित्यका इतिहास, मरु-गुर्जर, भाग ३, पार्श्वनाथ विद्यापीठ ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ९१, वाराणसी १९९७ ई० स०, पृष्ठ ४७३, ५३१. ३३. A.P. Shah, Catalogue of Sanskrit & Prakrit Mss...., Part-I, No. 3157, P-173. Ibid, P-404-405. ३५. ३६. ३७. ३८. ३९. ४०. A. P. Shah, Ed., Catalogue of Sanskrit & Prakrit Mss. Muniraj Shree Panya Vijayaji's Collection, Part-I, No. 3343, P-189. प्रशस्तिसंग्रह, भाग २, प्रशस्तिक्रमांक ७३१, पृष्ठ २०५. देसाई, पूर्वोक्त, भाग ३, पृष्ठ ३२२-३२९. ३४. ३४अ. देसाई, पूर्वोक्त, भाग ३, पृष्ठ ७४-७५. मुनि कांतिसागर, शत्रुंजयवैभव, पृष्ठ २१२. प्रशस्तिसंग्रह, भाग २, प्रशस्तिक्रमांक ९८८, पृष्ठ २६०. वही, भाग २, प्रशस्तिक्रमांक १०११, पृष्ठ २६६. देसाई, जैनसाहित्यनो संक्षिप्तइतिहास, कंडिका ९७४. पट्टावलीसमुच्चय, भाग २, पृष्ठ १००. मुनि जयन्तविजय, अर्बुदाचलप्रदक्षिणाजैनलेखसंदोह, लेखांक २५९. पूरनचंद नाहर, संग्रा०: संपा०- जैनलेखसंग्रह, भाग २, लेखांक १७४५. विविधगच्छीयपट्टावलीसंग्रह, पृष्ठ २२७. देसाई, जैनगूर्जरकविओ, भाग ५, संपा०- जयन्तकोठारी, पृष्ठ ३१०-११. वही, भाग ४, पृष्ठ ४००. ५०. ५१. ४१. ४२. ४३. ४४. ४५. ४६. पट्टावलीसमुच्चय, भाग २, पृष्ठ १०१. जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, भाग २, पट्टावलीपरागसंग्रह, पृष्ठ २०६. ४७. ४८-४९. पट्टावलीसमुच्चय, भाग २, पृष्ठ १०१. लेखांक ३७१. देसाई, जैनगूर्जरकविओ, भाग ६, पृष्ठ १२२-१२५. प्राचीन जैनलेखसंग्रह, भाग २, लेखांक ५३४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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