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२८ कृता प्रशस्ति: शस्तेयं विलसत्सर्वमंगला।। श्रियः सं० राधनपुर प्रशस्ति की अंतिम पंक्ति, मुनि जिनविजय, पूर्वोक्त, भाग २, पृष्ठ ३०५. देसाई, पूर्वोक्त, भाग ६, पृष्ठ १०९-११४. संपा० - जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, भाग १, लेखांक ३१, वि० सं० १८४३
और १८४५ के लेखों में भी प्रतिमाप्रतिष्ठापक के रूप में उदयसागरसूरि का नाम मिलता है। द्रष्टव्य, वही, भाग १, लेखांक ४६, ५९. देसाई, पूर्वोक्त, भाग ९, पृष्ठ ९५. देसाई, पूर्वोक्त, भाग ६, पृष्ठ १८१-८४. वही, पृष्ठ १८५. वही, पृष्ठ २४८.
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