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कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे भट्टा० श्रीज्ञानकलससूरिभिः।।
वही, भाग २, लेखांक ११४६ प्रतिष्ठास्थान - श्रीसंभवनाथ जिनालय, बोलपीपलो, खंभात
महावीर जिनालय मेड़ता में प्रतिष्ठापित कुन्थुनाथ की प्रतिमा पर वि० सं० १५१२ फाल्गुन सुदि ८ शनिवार का एक लेख उत्कीर्ण है। श्री पूरनचन्द नाहर ने इसका पाठ दिया है, जो इस प्रकार है :
संवत् १५१२ फाल्गुन सुदि ८ शनिवार श्री उसभ से० भार्या माणिकदे सुत रणाग्र भार्यायां ४० पिधा भार्या चां सुतयो याते जूरमाण श्री कुंथुनाथ विवं (बिंबं) कारितं प्रतिष्ठित (तं) श्रीबृहद् तपापंकज श्री बि (वि) जयतिलक सूरि पट्टे श्री विजय धर्म सूरि श्रीभूयात्।।
जैनलेखसंग्रह, भाग १, लेखांक ७९७.
जैसा कि लेख से स्पष्ट है, इसमें विजयतिलकसूरि के पट्टधर विजयधर्मसूरि का प्रतिमा प्रतिष्ठापक के रूप में उल्लेख है।
विजयतिलकसूरि
विजयधर्मसूरि (वि०सं० १५१२ में कुन्थुनाथ की प्रतिमा के
प्रतिष्ठापक) विजयधर्मसूरि के पट्टधर विजयरत्नसूरि हुए। इनके द्वारा वि०सं० १५१३ से वि०सं० १५३७ के मध्य प्रतिष्ठापित कई जिन प्रातिमायें मिली हैं। इनका विवरण इस प्रकार है :
क्रमांक वि० सं० तिथि/मिति लेख का स्वरूप प्राप्तिस्थान १. १५१३ वैशाख सुदि २ सुमतिनाथ की पद्मप्रभ जिना०, सोमवार प्रतिमा पर
उत्कीर्ण लेख
संदर्भग्रन्थ जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह भाग २, लेखांक ४३६.
खेड़ा
सातमा पर
१५२९
आषाढ़वदि ३
सुपार्श्वनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख
अनन्तनाथ जिना०, वही, भाग २, खारवाड़ो, खंभात लेखांक १०४०.
___३.
१५२९ आषाढ़वदि ३ वासुपूज्य की
प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख
नवपल्लव पार्श्वनाथ वही, भाग २, जिना०,बोलपीपलो, लेखांक १०९४. खंभात
४.
१५३७ वैशाख सुदि १० शांतिनाथ की सोमवार प्रतिमा पर
उत्कीर्ण लेख
मनमोहन पार्श्वनाथ वही, भाग २, जिनालय, मीयागाम लेखांक २७३.
५.
१५३७
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शीतलनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख
सुमतिनाथ जिना०, वही, भाग २, चोलापोल,खंभात लेखांक ६९२.
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