Book Title: Tapagaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 283
________________ संदर्भ १-२. “तपागच्छ-कमलकलशशाखा की पट्टावली" मोहनलाल दलीचंद देसाई, जैनगूर्जरकविओ, भाग ९, संपा०, जयन्त कोठारी, पृष्ठ १०६ - ७. ४. ५. ६. ७. ८. पूरनचंद नाहर, संपा०-संग्रा० - जैनलेखसंग्रह, भाग १, कलकत्ता १९१८ ई०, लेखांक ४८३. मुनि जिनविजय, संपा० प्राचीनजैनलेखसंग्रह, भाग २, भावनगर १९२१ ० स०, लेखांक २६४. वही, लेखांक २६५, २६७. मुनि जयन्तविजय, संपा० अर्बुदप्राचीनजैनलेखसंदोह, लेखांक ४६७, ४६९. बुद्धिसागरसूरि, संपा० - जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, भाग १, लेखांक १०६०. तपागच्छ- कमलकलशशाखा की पट्टावली देसाई, पूर्वोक्त, पृष्ठ १०६. मुनि चतुरविजय, संपा० - श्रीजैनस्तोत्रसन्दोह, भाग २, प्रस्तावना, पृष्ठ १०४. मोहनलालदलीचंद देसाई, जैनसाहित्यनो संक्षिप्तइतिहास, कंडिका ७२९, पृष्ठ ५०२. वही, कंडिका ७२५, पृष्ठ ४९९-५००. वही, कंडिका ७२६, पृष्ठ ५००. वही, कंडिका ७२६, टिप्पणी, पृष्ठ ४९९. द्रष्टव्य-संदर्भ संख्या ७. १०. ११. १२. १३. १४. १५. वही, पृष्ठ ११०-११. मुनि चतुरविजय, पूर्वोक्त, प्रस्तावना, पृष्ठ ११०. १५ अ. मुनि जयन्तविजय, वही, लेखांक ४८८ १६. मुनि जयन्तविजय, पूर्वोक्त, लेखांक ४६४, ४७१, ४७३, ४७४, ४८२, ४८३ एवं ४८४. मुनि जिनविजय, प्राचीनजैनलेखसंग्रह, भाग २, लेखांक २६३, २६८. १७. जैनगूर्जरकविओ, भाग १, पृष्ठ २४४-४५. १८. Vidhatri Vora, Ed. Catalogue of Gujarati Mss. Muni Shree Punya Vijayji's Collecetion, L. D. Series, No - 71, Ahmedabad 1978, P-477 जैनगूर्जरकविओ, भाग २, पृष्ठ ३००, ३०३. १९. अर्बुदप्राचीन जैनलेखसंदोह, लेखांक १९७. २०. जैनलेखसंग्रह, भाग १, लेखांक ९७०. २१. अर्बुदप्राचीन जैनलेखसंदोह, लेखांक ४८९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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