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चारित्रशील
प्रमोदशील
देवशील (वि०सं० १६१९ द्वितीय श्रावण वदि ९ रविवार
को बेतालपच्चीसी के रचनाकार) सोमविमलसूरि के एक शिष्य सोमरत्न हुए जिनके द्वारा रचित न तो कोई कृति मिलती है और न ही इस सम्बन्ध में कोई उल्लेख ही प्राप्त होता है किन्तु सोमरत्न के शिष्य विद्यासोम का वि०सं० १६८७/ई०स० १६३१ में शांतिनाथचरित के प्रतिलिपिकार के रूप में नाम मिलता है१६ -
सोमविमलसूरि
सोमरत्न
विद्यासोम (वि०सं० १६८७/ई०स० १६३१ में
शांतिनाथचरित के प्रतिलिपिकार) सोमविमलसूरि के एक शिष्य हेमसोम भी थे, जो उनके निधन के पश्चात् उनके पट्टधर बने।
इस प्रकार उक्त साक्ष्यों के आधारपर सोमविमलसूरि के कुल ५ शिष्यों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। तालिका-क्रमांक-२
सोमविमलसूरि
संघचारित्र
लक्ष्मीभद्र
लक्ष्मीचन्द्रगणि (वि०सं०१६१८ में सुरप्रियरास के प्रतिलिपिकार)
उदयशील
विमलचारित्र (वि० सं०१६०५ में नवकाररास के कर्ता)
सोमरत्न हेमसोम
(पट्टधर) विद्यासोम (वि० सं०१६८७ में शांतिनाथचरित के प्रतिलिपिकार)
चारित्रशील
प्रमोदशील
देवशील (वि०सं०१६१९ में बेतालपंचवीसीरास
के कर्ता) सोमविमलसूरि के वि०सं० १६३६ में निधन हो जाने के पश्चात् उनके शिष्य हेमसोम ने तपागच्छ की लघुपौशालिक शाखा का नायकत्त्व ग्रहण किया। वि०सं० १६६७ के एक
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