Book Title: Tapagaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 302
________________ २८० उदयसागरसूरि (वि०सं० १८४५ के लेख में उल्लिखित) आनन्दसागरसूरि शांतिसागरसूरि (वि०सं० १८९२-१९०५) अभिलेखीय साक्ष्य उपलब्ध जैसा कि ऊपर हम देख चुके हैं, शाखा प्रवर्तक आचार्य राजसागरसूरि का सूरिपद प्राप्ति से पूर्व नाम मुक्तिसागरगणि था। अहमदाबाद के निकट बारेज नामक ग्राम में स्थित आदिनाथ जिनालय में रखी गयी शांतिनाथ की प्रतिमा पर वि०सं० १६८१ ज्येष्ठ वदि ९ गुरुवार का एक लेख उत्कीर्ण है। इसमें प्रतिमा प्रतिष्ठापक के रूप में विजयदेवसूरि के परिवार के महोपाध्याय विवेकहर्षगणि के शिष्य के रूप में महोपाध्याय मुक्तिसागरगणि का नाम मिलता है। मुनि जिनविजय ने इस लेख की वाचना दी है, जो इस प्रकार है : संवत् १६८१ वर्षे ज्येष्ठ वदि ९ गुरुवासरे श्रीअहम्मदपुरवास्तव्यवृद्धशाखीयडीसावालज्ञातीय सा० वीरा भार्या बाई सुहडदे पुत्रेण सा० वर्धमान............... बाई बइजल पुत्र सा०.............लजी प्रमुखकुटुम्बयुतेन स्वश्रेयोऽर्थं सपरिकरं श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं सा० श्रीशांतिदासप्रतिष्ठायां प्रतिष्ठापितं प्रतिष्ठितं च तपागच्छे भ० श्रीविजयदेवसूरिपरिवारके महोपाध्यायश्रीविवेकहर्षगणिनामनुशिष्यमहोपाध्याय-श्रीश्रीमुक्तिसागरगणिभिः श्रियेस्तु।। मुक्तिसागरगणि द्वारा वि०सं० १६८२ ज्येष्ठ वदि ९ गुरुवार को प्रतिष्ठापित ४ जिनप्रतिमायें प्राप्त हुई हैं। इनकी वाचनायें निम्नानुसार हैं : संवत् १६८२ वर्षे ज्येष्ठ वदि ९ गुरुवासरे श्री अहिमदाबाद नगरवास्तव्यश्रीओसवालज्ञातीय सा० सहसकिरणभार्यया बाई कुंवरि नाम्न्या स्वधेयो) श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबिंबं कारितं सा० शांतिदासकारितप्रतिष्ठायां प्रतिष्ठापितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छे भट्टारकश्रीविजयसेनसूरीश्वरपट्टालंकार भट्टारकश्रीविजयदेवसूरिपरिवारके महोपाध्यायविवेकहर्षगणीनामनुशिष्या (ष्यैः) महोपाध्यायश्रीमुक्तिसागरगणिभिः।। मुनिसुव्रत की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख, प्रतिष्ठास्थान - जैनमंदिर, सूरत के निकट स्थित लाइन्स में संदर्भग्रन्थ - मुनि जिनविजय, संपा०- प्राचीनजैनलेखसंग्रह, भाग २, लेखांक ५४१. २. संवत् १६८२ वर्षे ज्येष्ठवदि ९ गुरौ अहिमदाबादनगरे ओसवालज्ञातीय सा० श्रीशांतिदास भार्यया श्रीआदिनाथबिं प्रतिष्ठापितं प्रतिष्ठितं च तपागच्छे महोपाध्यायश्रीमुक्तिसागर...... आदिनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख, प्रतिष्ठास्थान - जैनमंदिर, सूरत के निकट लाइन्स में संदर्भग्रन्थ - मुनि जिनविजय, पूर्वोक्त, भाग २, लेखांक ५४२ संवत् १६८२ वर्षे ज्येष्ठ वदि ९ गुरुवासरे श्रीअहिम्मदाबादवास्तव्य श्रीओसवालज्ञातीय सा० श्री वछा भार्या गोरदे सुत सा० सहस्त्रकिरण भार्या कुआरबाइ बाइ सोभागदे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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