Book Title: Tapagaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshwanath Vidyapith

Previous | Next

Page 273
________________ तपागच्छ-कमलकलशशाखा तपागच्छीय आचार्य सोमसुन्दरसूरि के शिष्य और मुनिसुन्दरसूरि, रत्नशेखरसूरि आदि के आज्ञानुवर्ती आचार्य सोमदेवसूरि अपने समय के समर्थ कवि और प्रमुख वादी थे। मेवाड़ के शासक राणाकुम्भा, जूनागढ़ के शासक खेंगार और चांपानेर के शासक जयसिंह को अपनी काव्यकला से इन्होंने प्रभावित किया था। इनके द्वारा रचित सिद्धान्तस्तवअवचूरि, कथामहोदधि, चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र, युस्मदस्महष्टादशस्तव की अवचूरि (रचनाकाल वि०सं० १४९७/ई०स० १४४१) आदि कृतियां मिलती हैं। वि० सं० १५१७, १५१८ और १५२० के प्रतिमा लेखों में इनका नाम मिलता है। दिल्ली स्थित नवघरे के मंदिर में भगवान् शांतिनाथ की प्रतिमा पर वि०सं० १५१७ वैशाख सुदि ८ का एक लेख उत्कीर्ण है। इसमें रत्नशेखरसूरि और लक्ष्मीसागरसूरि के साथ सोमदेवसूरि का भी नाम मिलता है। अचलगढ़ स्थित चौमुख जिनालय में प्रतिष्ठापित आदिनाथ की प्रतिमा पर वि०सं० १५१८ वदि४ का एक लेख उत्कीर्ण है। इसमें तपागच्छीय आचार्य सोमसुन्दरसूरि के पट्टधर के रूप में मुनिसुन्दरसूरि और जयचन्द्रसूरि तथा इन दोनों के पट्टधर के रूप में रत्नशेखरसूरि एवं रत्नशेखरसूरि के शिष्य के रूप में सोमदेवसूरि और लक्ष्मीसागरसूरि का नाम मिलता है। ठीक यही बात इसी जिनालय में प्रतिष्ठापित इसी समय की शांतिनाथ और नेमिनाथ की प्रतिमाओं पर उत्कीर्ण लेखों से भी ज्ञात होती है। पार्श्वनाथदेरासर, देवसानो पाड़ो, अहमदाबाद में संरक्षित अभिनन्दन स्वामी की धातु की प्रतिमा वि०सं० १५२० आषाढ़ सुदि २ गुरुवार का एक लेख उत्कीर्ण है। इसमें सोमदेवसूरि का उल्लेख करते हुए उन्हें लक्ष्मीसागरसूरि का शिष्य कहा गया है। ठीक यही बात वि० सं० १५२० के दो अन्य प्रतिमालेखों; वि०सं० १५२१ के एक प्रतिमालेख एवं वि०सं० १५२२ के दो प्रतिमालेखों के बारे में भी कही जा सकती है। इनका विवरण इस प्रकार है: १. १५२० कुन्थुनाथ की धातु की प्रतिमा सीमंधर स्वामी का देरासर, जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, पर उत्कीर्ण लेख उपलो गभारो, अहमदाबाद भाग १, ११९९ २. १५२० विमलनाथ की धातु की प्रतिमा शान्तिनाथ जिनालय, वही, भाग १, पर उत्कीर्ण लेख शांतिनाथ पोल, अहमदाबाद लेखांक १२५८ वासुपूज्य की धातु की प्रतिमा संभवनाथ देरास, वही, भाग १, पर उत्कीर्ण लेख झवेरीवाड़, अहमदाबाद लेखांक ८३४ शीतलनाथ की धातु की प्रतिमा आदिनाथ जिनालय, वही, भाग १, पर उत्कीर्ण लेख माणेकचौक, खम्भात लेखांक १०५४ ५. १५२१ जैन देरासर, बड़ोदरा प्राचीनलेखसंग्रह, माघ सुदि १३ लेखांक ३५५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362