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३. १५१९ माघ वदि मुनिसुव्रत की प्रतिमा पर संभवनाथ देरासर, वही, भाग ३, ५ शुक्रवार उत्कीर्ण लेख जैसलमेर
लेखांक २४२२ ४. १५१९ माघ सुदी विमलनाथ की धातु की वीरजिनालय, जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह,
१३ बुधवार प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख रीजरोड, अहमदाबाद भाग १, लेखांक ९३० ५. १५२० वैशाख...? विमलनाथ की धातु की जैन मंदिर, लालबाग जैनधातुप्रतिमालेख,
प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख मुम्बई भाग १, लेखांक १७८ ६. १५२१ वैशाख सुदि शीतलनाथ की प्रतिमा पर पार्श्वनाथ जिनालय, जैनलेखसंग्रह, भाग २,
१० उत्कीर्ण लेख लश्कर, ग्वालियर लेखांक १४०७ ७. १५२१ ज्येष्ठ सुदि संभवनाथ की प्रतिमा पर गौड़ीपार्श्वनाथ वही, भाग १,
१३ गुरुवार उत्कीर्ण लेख जिनालय, अजमेर लेखांक ५३५ ८. १५२१ " सुमतिनाथ की धातु की जैनदेरासर, डभोई जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख
___ भाग १, लेखांक २० उदयवल्लभसूरि की दो शिष्याओं-रत्नचूला महत्तरा एवं प्रवर्तिनी विवेकश्री का उल्लेख मिलता२६ है। इनके पट्टधर ज्ञानसागरसूरि हुए जिनके द्वारा वि०सं० १५१७ में रचित विमलनाथचरित्र और अन्य कृतियाँ प्राप्त होती हैं। इन्हीं के लहिया लौका (लौकांशाह) ने वि०सं० १५२८ में अपने नाम से लोंकागच्छ का प्रवर्तन किया जिससे श्वेताम्बर सम्प्रदाय मूर्तिपूजक और अमूर्तिपूजक-दो भागों में विभक्त हो गया। वि० सं० १५२२-१५५३ तक के जिनप्रतिमाओं में प्रतिमाप्रतिष्ठापक के रूप में ज्ञानसागरसूरि का नाम मिलता है। इनका विवरण निम्नानुसार है: १. १५२२ -- शांतिनाथ की धातु की चौमुखजी देरासर, जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह,
प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख अहमदाबाद भाग १, लेखांक १४१ २. १५२३ वैशाख सुदि कुन्थुनाथ की धातु की पार्श्वनाथ जिनालय, प्राचीनलेखसंग्रह, प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख मांडल
लेखांक, ३७५ ३. १५२४ वैशाख सुदि कुन्थुनाथ की प्रतिमा पर पुण्डरीक स्वामी की शत्रुजयवैभव,
३ सोमवार उत्कीर्ण लेख ट्रॅक, शत्रुजय लेखांक १८२ ४. १५२४
विमलनाथ की धातु की पार्श्वनाथ देरासर, जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख देवसानो पाड़ो, भाग १, लेखांक १०८४
अहमदाबाद ५. १५२५ वैशाख वदि नमिनाथ की धातु की जैनदेरासर, पाटडी प्राचीनलेखसंग्रह, ११ रविवार प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख
लेखांक ३९८ ६. १५२७ ज्येष्ठ वदि
जैनमंदिर, ऊँझा जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, ७ सोमवार
भाग १, लेखांक २०३ ७. १५२७ "
वासुपूज्य की धातु की शांतिनाथ देरासर, वही, भाग १, प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख करबटीया
लेखांक ४९१
भाग १
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