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१८८३ "
२१० आदिनाथ की
वही, लेखांक १८६९ पाषाण की प्रतिमा
पर उत्कीर्ण लेख श्रीपूज्य विजयजिनेन्द्रसूरि के पश्चात् उनके शिष्य विजयदेवेन्द्रसूरि श्रीपूज्य बने। वि०सं० १८८८, १८९२, १८९३, १९०२ और १९०४ के कुछ लेखों में इनका नाम मिलता है। इनका विवरण निम्नानुसार है:
१८८८ माघ सुदि ५
सोमवार
पार्श्वनाथ जिनालय पार्श्वनाथ जिनालय जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, की देहरी पर पोसीना भाग १, लेखांक १४६४ उत्कीर्ण लेख
१८८८ "
१८८८
वही, भाग १, लेखांक १४६५ वही, भाग १, लेखांक १४६६ वही, भाग १, लेखांक १४६७ वही, भाग, १, लेखांक १३८८
१८८८ "
"
जैन मंदिर, ईडर "
वही, भाग१. लेखांक १३९४ वही, भाग१. लेखांक १३९६
१८८८ "
मूलनायक की प्रतिमा पर उत्कीर्ण
लेख १८९२ वैशाख सुदि १३ धातु की जिनप्रतिमा
शुक्रवार पर उत्कीर्ण लेख १८९२ " आदिनाथ की धातु
की प्रतिमा पर
उत्कीर्ण लेख १८९२
चन्द्रप्रभ की धातु की प्रतिमा पर
उत्कीर्ण लेख १८९३ माघ सुदि १० आदिनाथ की बुधवार धातु की प्रतिमा
पर उत्कीर्ण लेख १८९३
वही, भाग१. लेखांक १३९७
जैनधातुप्रतिमालेख परिशिष्ट, पृ.१३
१८
पार्श्वनाथ की पाषाण की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख
वही, परिशिष्ट पृ.१३-१४ बीकानेरजैनलेखसंग्रह, लेखांक १२७६
सीमंधर स्वामी का मंदिर, भांडासर
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