________________
२०
के आलेखन से मुझे एक भी गुण मिल जाये तो मेरा प्रयत्न सफल हो जायेगा । गुणानुरागी आचार्यवर्य का देह परिवर्तन भले हो चुका हो, पर आत्मदल परिवर्तित नहीं हो सकता है। हमारी शासन प्रभावना एवं चारित्र आराधना देखकर आप अवश्य पुलकित बनेंगे और हर्षित हृदय से अवश्य कृपा प्रदान करेंगे। गुणानुरागी अनुपम योगिराज महात्मा पू. गुरुदेवेश आचार्य भगवंत विजय लब्धिसूरीश्वरजी महाराज के पवित्र चरणारविंद में अनंत वंदनावली.
सूरीश्वर के स्मृत्यार्ह संवत्सर और स्थान
जन्म स्थल : बालशासन
समय
: वि० सं० १९४०
संसार प्रपंच से मुक्त होने का सकल पुरुषार्थ भागवती प्रवज्या अंगीकार : वि० सं० १९५७
*
वाद विजय के स्थल और संवत्
प्रथमवाद विजय : १९६५ लुधियाना
द्वितीयवाद विजय
: १९६६ कसूरग्राम
तृतीयवाद विजय
: १९६७ मुल्तान
चतुर्थवाद विजय
: १९७३ नरसंडा
पंचमवाद विजय : १९७४ बड़ोदरा
जैन रत्न व्याख्यान वाचस्पति पद प्रदान:- १९७१ ईडर
आचार्य पद प्रदान
१९८१ छांणी
स्वर्गगमन
२०१७ श्रावण शुक्ल पंचमी (बम्बई)
Jain Education International
:
:
-
--
-*---
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org