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के साथ कच्छ वागड़ देशोद्धारक प.पू. आचार्य भगवंत श्री कनकसूरि जी म.सा. के पावन हाथों संयम ग्रहण किया। लक्ष्मीलाल जी वैद मुनि कमलविजय जी और उनके सुपुत्र नथमल मुनि कमलहंस विजय जी तथा अक्षयराज जी लूंकड़ वर्तमान में आचार्य श्री कलापूर्णसूरि जी व उनके सुपुत्र ज्ञानचंद व आसकरण क्रमश: मुनि कलाप्रभविजय जी व मुनि कल्पतरु विजय जी म. आज संयम यात्रा को सुसाध्य बना
पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्रीमद् कनकसूरि जी म.सा. की दीक्षा पर्याय में पर्याप्त लघु होते हुए भी गुणानुरागी कविकुलकिरीट पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्रीमद् लब्धिसूरि जी.म.सा. ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की थी। उनके हृदय में गुणानुराग कितना ज्वलंत था वह इस प्रसंग से प्रतीत होता है। पूज्यपाद आचार्यश्री लब्धिसूरीश्वर जी म.सा. का जीवन दर्शन अमर रहो। पूज्यपाद आचार्यश्री कनकसूरीश्वर जी म.सा. की यशकीर्ति अमर रहो। पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय लब्धि
सूरीश्वर जी का पवित्र सन्देश यौवन एक साधन है। साधन का फल साधक के ऊपर निर्भर है। जिस साधन का सदुपयोग मुक्तिदाता हो सकता है उसी साधन का दुरुपयोग दुर्गति का कारण भी बन सकता है इसलिये प्रत्येक युवक को चाहिये कि वह यौवन रूप साधन का उपयोग शासन सेवा में, धर्माराधन में करे। विश्व भर में उससे अच्छा कोई भी नहीं, जिसके यौवन का सदुपयोग हो सके।
अपना कर्तव्य सम्भालो। आँखों के सामने धर्म अपमान देखने से उसके निवारणार्थ मर मिटना अच्छा है। कृत निश्चय, सहनशील और इन्द्रियनिग्रही बनकर मैदान में आओ, धर्म प्रेम का कवच तुम्हें सुरक्षित रखेगा। अखंडता और स्वच्छन्दता का परित्याग करके समझ लो कि शासन की आज्ञाओं की परवशता ही कल्याण मार्ग है। बस इसी रास्ते पर निर्भयता से चलो......
विजय तुम्हारी है.
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