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सम्यक-प्रणाम श्रीमद् लब्धि सूरिदेव महामनीषी थे। महामति थे। सरस्वती उन पर मुग्ध थी और उसने अनन्य शरण होकर उनका आश्रय लिया था। जिनकी अमृत वर्षिणी उपदेश धारा से हजारों हदयों में त्याग, वैराग्य की भावना भरी थी। जिनकी मपुर काव्य रचना से विशाल मानव मन भक्ति से सराबोर है। ऐसे महान् गुरुदेव भगवंत के श्री चरणों में सम्यक् प्रणाम समर्पित..........
-पंन्यास श्रीमद् वारिषेणविजय
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