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वीर वीर तुं भजता रे, तेरी पीर हरेगा सोय, प्रभु वीर प्रीत को क्या जाने, गुणीजन की गत गुणीयल जाने,
और न जाने कोय १ आत्म स्वरूप को क्या जाने, भवरूप कूप को क्या जाने, जिनवर भक्त सकल सो जाने
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और न जाने कोय २
शिवपुर सुख को क्या जाने, और कर्म दुःख को आतम ज्ञानी वो सब जाने,
क्या जाने,
..
और न जाने कोय.. ३ प्राभु वीर प्रीत गौतम जाने, प्रभु वीर ध्यान मनमें आणे, केवलज्ञानी पद को पाकर शिवपुर पावे सोय.. ४ समकित रीत को क्या जाने, जिनराज गीत को क्या जाने,
आतम की गत आतम जाने, लब्धि पावे सोय.. ५
(४८)
आ के वीर प्रभु के मैं द्वारे खड़ा, रत्न चिन्तामणी मेरी नजरे चढ़ा,
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