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"जैनधर्म एवं सामाजिक चेतना' पर संगोष्ठी
एवं पुरस्कार वितरण समारोह सम्पन्न
पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा प्रवर्तित 'हंसराजनरोत्तम व्याख्यानमाला' के अन्तर्गत १८ सितम्बर को पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्रांगण में जैनधर्म एवं सामाजिक चेतना नामक विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। साध्वी जी महाराज के मंगलाचरण से कार्यक्रम का प्रारम्भ हुआ। प्रो० सागरमल जैन ने विषय प्रवर्तन किया एवं अध्यक्षता की प्रो० रमेशचन्द्र शर्मा ने। इस संगोष्ठी में डॉ० प्रेमचन्द जी गाड़ा एवं श्री लक्ष्मीचन्द जैन (अमेरिका), श्री जैन आत्मानन्द पी०जी० कालेज, अम्बाला के पूर्व प्रधानाचार्य सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो० टी०आर० जैन, विद्यापीठ के सहसचिव श्री इन्द्रभूति बरड़ विशेष रूप से उपस्थित थे। संगोष्ठी में उपस्थित अन्य विद्वानों में प्रो० बी०एन० सिंह, डीन-विधि संकाय, का० हि०वि०वि०; प्रो० ब्रह्मदेव नारायण शर्मा, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी; प्रो० राधेश्यामधर द्विवेदी, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी; प्रो० नन्दलाल जैन, रीवा; डॉ० राजकुमार जैन, दिल्ली; डॉ० फूलचन्द जैन, वाराणसी; श्री राकेश ब्रह्मचारों, कुण्डलपुर; डॉ० मुनीपुष्पा सिंघई, वाराणसी; प्रो० रामजी उपाध्याय एवं डॉ० शितिकंठ मिश्र-वाराणसी प्रमुख थे। संगोष्ठी के प्रमुख वक्ताओं में प्रो० रामजी उपाध्याय, प्रो० राधेश्यामधर द्विवेदी, प्रो० बी० एन० शर्मा, ब्रह्मचारी राकेश जी, डॉ० प्रेमचन्द जी गाड़ा और प्रो० रमेशचन्द शर्मा के नाम उल्लेखनीय हैं।
संगोष्ठी के पश्चात निबन्ध-प्रतियोगिता में पुरस्कार विजेताओं को पुरस्कार वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। विद्यापीठ के सहसचिव श्री इन्द्रभूति जी ने निबन्ध प्रतियोगिता के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम में ६ पुरस्कार विजेताओं में से चार-कु० अर्चना श्रीवास्तव, श्री जेठमल चौरड़िया, श्रीमती उषा नाहर तथा श्री नीलेश सोनगरा उपस्थित थे। इन सभी को श्री बरड़ जी ने पुरस्कार राशि का ड्राफ्ट और प्रमाणपत्र प्रदान किया। कार्यक्रम की समाप्ति के पश्चात् सहभोज का आयोजन रहा।
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