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नमि जिनराज, मिटे ये खाज, टलेगा करमन का शोरबकोर ... जागो ||४|| हरदम दिलों में हो शासन की दाज, तिरने को जहाज, मुक्ति का साज, आठों ही भागे ये लुंटारे चोर ... जागो ॥ ५ ॥ सर्व हिकाने है जिनवर का राज, मुक्ति के काज, पाया है आज ; आतम की लब्धि में गुणों का दोर ... जागो || ६ ||
(२३)
श्री नेमनाथ जिन स्तवन
जिनकी भक्ति वही दिल में मोरी, नेम की भक्ति वही दिल में मोरी (अंचली) कर्म का सागर धर्म की नैया, जीव मुसाफिर जिन तरैयां, जिन बिन मेरा कौन है भैया, रोज करुं हुं भक्ति भारी ;
ये नैया कदी न फंसे भव में मोरी, नेम की ॥१॥ लाख चौरासी गति दुःखीयारा, मुक्ति का है दूर किनारा, हरदम कांपे दिल हमारा, क्यों विषयों में मात है जोरी ;
ये नैया हमेंशा पड़ी भव में मोरी .. नेम की ॥२॥ धारण कर ले संयम प्यारा, जल्दी मिले मुक्ति किनारा, आत्म- कमल में लब्धि प्यारा, त्यों भव की फेरी टले तोरी, ये नैया कदी न फंसे भव में मोरी .. नेम की ॥३॥
(२४)
गिरनारमंडन श्री नेमिनाथ जिन स्तवन नेमिजिन प्यारा, कल ब्रह्मधारा, कीजिए दुःखोद्धार प्रभु शिव सुखकारा, भव दुःख हारा; आतम तारा कीजिए दुःखोद्धार, दुःखोद्धार की शक्ति तुमारी, अपूर्व प्रभु जाणा
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