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चाहूं मैं आत्म की ज्योति, दिखा दोगे तो क्या होगा ? कुन्थु ॥४॥ सच्ची मैं देव की सूरत, तुमारे में निहाली है,
लगा है प्रेम इस कारण, निभालोगे तो क्या होगा ? कुन्थु ॥ ५ ॥ कमल जैसा तेरा मुखड़ा देखा छायापुरी मांही,
बना लब्धि भ्रमर इस में, छुपा लोगे तो क्या होगा ? कुन्थु || ६ || (२१)
(मारवाड़) पाली पासे भाद्राजनमंडन श्री मल्लिनाथ जिन स्तवन मल्लिनाथ सही, मोह रति है नही (अंचली)
वीतराग सही, दिल भक्ति वही,
कमभक्ति गइ, गति सफल भइ ... मल्लिनाथ ॥ १ ॥ प्रभु गुण ग्रही, भवपार लही,
...
रहे दुःख नहीं, मिले सुख सही .. मल्लिनाथ ॥ २ ॥ भाद्राजन में सही, मुझ मन प्रभु दर्श दिखा दो कहीं ने कहीं
में सही,
.. मल्लिनाथ ||३||
प्रभु आत्म-कलम नही, दिल खिले लब्धि लही रहे राग नहीं (२२)
कमल सही,
. मल्लिनाथ ||४||
...
श्री नमिनाथ जिन स्तवन जागो जागो प्यारे भया भोर ;
आज खूब पाये हैं मैंने जिनसार ... जागो ॥१॥
मेरा मन भी मगन, मेरा तन भी मगन, प्रभु हटा दो करमन का शोर ;
आतम के अन्तर में पाया है जोर ... जागो ॥२॥ तारो जी तारो ये दिल है नाराज, करमन का राज तोड़ो ये ताज ;
सताते मुझको ये आठों ही पोर भक्ति से जिनवर रखेंगे
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... जागो ॥३॥
लाज,
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