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तूं भज कर जा तूं भव तर जा, प्रभु ।।२।।
प्रभु पार्श्व सेवा में लीन रहे, ए आत्म शान्ति भरपूर लहे,
आत्म-कमल लब्धि भर जा, तूं भज कर जा तूं भव तर जा . प्रभु ।।३।।
(३०) जावाल मंडन श्री पार्श्वनाथ जिन स्तवन प्रभु श्री पार्श्व की सेवा करेंगे हम करेंगे हम, भवोदधि दुःख का दरिया, तरेंगे हम, तरेंगे हम,
सुरत मुज प्राण प्यारे की, धरेंगे हम धरेंगे हम, उन्हीं के संग से जीया, भरेंगे हम, भरेंगे हम, प्रभु ॥१॥ ___ तोड़ के मोह का बन्धन, उदासी हाके विषयों से, सलोनी श्याम सुरत में, रमेंगे हम रमेंगे हम, प्रभु ॥२॥
प्रभु के नाम की पखा, रखेंगे हम, रखेंगे हम, सोने चांदी की नहीं पखा, न पखा सुत दारा से, प्रभु ॥३॥
करम घटमाल बुरी को, छोड़ कर अब लगे पीछे, तेरे एक नाम की माला, जपेंगे हम, जपेंगे हम, प्रभु.॥४॥
खुदी हम से हटे जिनवर, जपेंगे जाप को तब तक, जुदाई नाथ की हमरी, हरेंगे हम, हरेंगे हम प्रभु ।।५।। ___ मरुधर देश जावाले, प्रभु का दर्श है पाया, सूरि लब्धि पूरी मुक्ति, वरेंगे हम, वरेंगे हम प्रभु ॥६।।
(३१) (मारवाड़) बीजोवा मंडन श्री पार्श्वनाथ जिन स्तवन बलिहारी जाऊं वारी, पारस तोरी शान्त सुरत की बलिहारी, तिन छत्र प्रभु शिरा पर छाजे, इन्द्र इन्द्राणी उवारी ॥१॥ नाग को तारी धरणेन्द्र बनाया, नवकार दिलाया दिलारी ॥२॥ आत्म विकासक संजमधारी, केवल दीपक कीया जारी ॥३॥
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