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मैं हूं रागी, तूं है विरागी, मैं हूं बड़ा ही गुन्हेगार..१
वीर प्रभु तूं गुणगणधारी, मुझमें अवगुण हजार..२ तुम प्रभु ज्ञानी, मैं अज्ञानी, मैं दीन तूं है सरदार..३ तूं सुखी प्रभु मैं हूं दुःखिया, कोइ करे न दरकार..४ तूं जुदा नहीं, मैं जुदा नहीं, कर्मे हुआ हूं खुंवार ..५ ज्ञान सुहावो, दर्शन लावो, चारित्र दियो सुखकार ..६ काम कषाय की तपत निवारो, ज्ञानामृत दियो सार..७ काल अनंतो खोयी विषयमां, अब नहि बनुं में गमार..८ कर्म को हारी, निज गुणधारी, दिया क्षपक तलवार ..९ आत्म-कमल में लब्धि विकासो, बेड़ा करो ने भवपार ..१०
(४२) . .. ___ महावीर मेरे नैना, अमीरस से भर तो देना,
निरंजनो की नगरी, हमको भी दिखा देना ॥१॥ ममता की कुंज गलन में, पल पल में मर रहा हूँ, दर्शन सुधा की प्याली, आकर के पिला देना ॥२॥
भवरूप दावानल में, दीन रेन जल रहा हूँ, - अमीरस की वृष्टि करके, दु:ख दाह बुझा देना ॥३॥
तेरे धाम की मंझिल में, हताश हो रहा हूँ, आशा दीपक बुझा है, आकर के जला देना ॥४॥
तेरे नाम की करामत, हमको रहे सलामत, तूं ही तूं ही की धुन में, मुझको भी लगा देना ॥५॥
जो ही है रूप तेरा, वो ही है रूप मेरा, पड़दा पड़ा है बीच में, आकर के उड़ा देना ॥६॥ __ छटक रही जीवन की, कबान हो सुकानी, इधर उधर है फिरती, आकर के जमा देना ॥७॥
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