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________________ ८९ चाहूं मैं आत्म की ज्योति, दिखा दोगे तो क्या होगा ? कुन्थु ॥४॥ सच्ची मैं देव की सूरत, तुमारे में निहाली है, लगा है प्रेम इस कारण, निभालोगे तो क्या होगा ? कुन्थु ॥ ५ ॥ कमल जैसा तेरा मुखड़ा देखा छायापुरी मांही, बना लब्धि भ्रमर इस में, छुपा लोगे तो क्या होगा ? कुन्थु || ६ || (२१) (मारवाड़) पाली पासे भाद्राजनमंडन श्री मल्लिनाथ जिन स्तवन मल्लिनाथ सही, मोह रति है नही (अंचली) वीतराग सही, दिल भक्ति वही, कमभक्ति गइ, गति सफल भइ ... मल्लिनाथ ॥ १ ॥ प्रभु गुण ग्रही, भवपार लही, ... रहे दुःख नहीं, मिले सुख सही .. मल्लिनाथ ॥ २ ॥ भाद्राजन में सही, मुझ मन प्रभु दर्श दिखा दो कहीं ने कहीं में सही, .. मल्लिनाथ ||३|| प्रभु आत्म-कलम नही, दिल खिले लब्धि लही रहे राग नहीं (२२) कमल सही, . मल्लिनाथ ||४|| ... श्री नमिनाथ जिन स्तवन जागो जागो प्यारे भया भोर ; आज खूब पाये हैं मैंने जिनसार ... जागो ॥१॥ मेरा मन भी मगन, मेरा तन भी मगन, प्रभु हटा दो करमन का शोर ; आतम के अन्तर में पाया है जोर ... जागो ॥२॥ तारो जी तारो ये दिल है नाराज, करमन का राज तोड़ो ये ताज ; सताते मुझको ये आठों ही पोर भक्ति से जिनवर रखेंगे Jain Education International ... जागो ॥३॥ लाज, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525041
Book TitleSramana 2000 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2000
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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