________________
८१
द्राविड वारिखिल्ला, दश कोडी कर्म छोरी .. मरुदेवी ॥४॥
कोडि पंच सिद्धये पांडव, तोड़ी कर्म का तांडव ; प्रद्युत्न शाम्ब सिद्धये, साड़े आठ साथ कोडी .. मरुदेवी ॥५।।
___ पांच कोडि मुनि साथ, वरे पुंडरीक नाथ ; सिद्धि वधू रुपाली, पुंडरीक नामकारी .. मरुदेवी ॥६।।
अनंत सिद्धि पाये, जो इण गिरि पे आये ; महिमा अजब भारी, शरणा लिया में धारी .. मरुदेवी ॥७॥
आत्म-कमल विकासों, घट लब्धि को प्रकाशो ; होय शिवपुर वासो, विनित है यह हमारी .. मरुदेवी ॥८॥
सिद्धगिरि पर आदिप्रभु को प्रात: प्रणाम .. प्रभु
तुं स्वामी में दीन हूं प्यारा,
तेरे बिन मुझ नहि निस्तारा ; आया तुम दरबार, प्रभु को प्रातः प्रणाम .. सिद्धगिरि ॥१॥
जहान भर में तीरथ उदारा,
भव्य हृदय का यही सतारा, तीरथ तारणहार, प्रभु को प्रात: प्रणाम .. सिद्धगिरि ॥२॥
दिलचस्प दिलवर दिलधारा,
तब से दिल का हुआ सुधारा : बंदगी वारं वार, प्रभु को प्रात: प्रणाम .. सिद्धगिरि ॥३॥
.. ये गिरि मेरे नैन का तारा
___ गुण मोतनका ये है हारा ; . केवल कमलाकार, प्रभु को प्रातः प्रणाम .. सिद्धगिरि ॥४॥ ..लाख चोरासी योनि वारे,
कर्म सकल को ये गिरि जारे, ये गिरि मुज दिलदार, प्रभु को प्रात: प्रणाम .. सिद्धगिरि ॥५॥
आत्म-कमल में गिरिगुण गाना,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org