Book Title: Shatkhandagama Pustak 11
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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२०
शुद्धि-पत्र
पृष्ठ पंक्ति
१३१
५
१३९ __१२ १३९
२६
११ २६ ३१
१५२ १६२ १६४ १६८ १६८
अशुद्ध अब इस छेदभागहारको इसका छेदभागहार होता है। कहते हैं। पुव्वत्तंसं
पुबुत्तंसं असंखेजगुणाओ
संखेजगुणाओ' योगद्दार' संगतो
योगद्दारं सगंतोअसंख्यातगुणी
संख्यातगुणी १ अ-आ-काप्रतिषु १ प्रतिषु 'असंखेजगुणाओ' इति पाठः
___ २-अ-आ-का प्रतिषु समत्ते
समत्तं संखेज्जगुणो
असंखेज्जगुणो संख्यातगुणो
असंख्यातगुणो २ ताप्रतिपाठोऽयम् । प्रतिषु २ ताप्रती 'संखेज्जगुणो'
_ 'असंखेज्जगुणो" उसीसे उसीके...अधिक है। x x x स्थितिबन्धस्थान स्थितिवन्धस्थानविशेष तस्स
तस्य [ एवं सण्णिपंबिंदिय-] [ सण्णिपंचिंदिय-]
उक्कस्सिया आवाहा विसेसाहिया । एवं हैं । इसी
हैं । उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है।
इसी है स्व-स्थान
है-स्वस्थान चतुरिन्द्रिय
बादर एकेन्द्रिय तेइंदियपज्जत्तयस्स तेइंदिय अपज्जत्तयस्स' त्रीन्द्रिय पर्याप्तक त्रीन्द्रिय अपर्याप्तक
प्रतिषु 'तेइंदियपज्ज०' इति पाठः । पर्याप्तक
अपर्याप्तक आवाधास्थान
आवाधास्थानविशेष वादरेइंदिय
बेइंदिय वादर एकेन्द्रिय
द्वीन्द्रिय संक्लेशस्थानोंकी विशुद्धि परिणामोंकी अपज्जयस्स
अपज्जत्तयस्स
१
एवं
२१
३२
१७७ १९०
२७
१९१ १९१ १९२ १२२ १९७ १९७ २०७
२८
२३
WW.
२८
२२२ २२२
३०
कधं......"असंखेज्जगुणतं असंख्यातगुणे
कधं....."संखेज्जगुणतं संख्यातगुणे
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