Book Title: Shatkhandagama Pustak 11
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
View full book text
________________
शुद्धि-पत्र
शुद्ध
orm
पृष्ठ पंक्ति
अशुद्ध
वेदनानिक्षेपविधान २ २२
वह आकाश है पदणावायाभावादो
विसेसाभादो ७ १२ उकसा
११-१४ सुत्तस्था ११ मोण
एवमगेगास
वेदनाक्षेत्रविधान वह क्षेत्र है पदणोवायाभावादो विसेसाभावादो उक्कस्सा सुत्तत्थो मोत्तण एवमेगेगास
४ 1
4
.
20
V
वणा पुविल्ल वट्ठावेदव्वा द्विदिबंधट्ठाणाणि लभंति पंचेन्द्रियोंमें पाये तदियसमओ तृतीय समय स्थितिसंतकर्म
परूवणा पुग्विल्ल वड्ढावेदव्वा विदिबंधट्ठाणाणि ण लभंति पंचेन्द्रियोंमें नहीं पाये बिदियसमओ द्वितीय समय स्थितिसत्कर्म
२४
२६
१००
१००
१३
णापुणरुत्तट्ठाणं
ण पुणरुत्तट्टाणं समय देखा
समय कम देखा अपुनरुक्त
पुनरुक्त ताप्रती 'सेसफालीहिंतो ण x x x पुणरुत्तट्ठाणं'
दुसमयूण- दो समय
एक समय x x x
२ अ-आ-काप्रतिषु 'दुसमयूण' इति पाठः। शतपृथक्त्व तक
शतपृथक्त्व स्थिति तक छेदभागहारो।
छेदभागहारो होदि।
समयूण-२
१०४ १०४ १०९ १२७
३३ २३ ४
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org