Book Title: Shantinath Purana
Author(s): Asag Mahakavi, Hiralal Jain, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Lalchand Hirachand Doshi Solapur
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श्री शान्तिनाथपुराणम्
परया सपर्यया पूर्वमनुग्राहये प्रयत्नतः । एकान्ताभिरते नित्यं परान्न नमतः प्रभून् ॥६८॥ अनया प्रतिपत्यैव पालिते प्रभुरणामुना । ते तथोक्तक्रमणैव स्वीकरोतु भवानपि ॥ ६६ ॥ त्वया यत्प्रतिपन्नं नस्तद्वक्तव्यं च चक्रिणः । तेनेत्युक्त्वा विसृष्टोऽसौ यथोक्तमकृत स्वयम् ॥१००॥
* शार्दूलविक्रीडितम् *
प्रागारुह्य विमानमात्मरचितं चञ्चद्ध्वजभ्राजितं
तत्रारोप्य स गायिके प्रमुदितो व्योमोद्ययौ खेचरः । अन्तः संभृतभूरिविस्मयवशादुत्तानितैर्लोचनैः
सौधोत्सङ्गताङ्गनाजनशतैरुद्वीक्ष्यमाणः क्षरणम् ॥। १०१ ।। - उच्चैरुच्चरितध्वनिः श्रुतिसुखं मेरी ररास स्वयं वृष्टि: सौमनसी पपात नभसः एभिः प्रादुरभून्निगूढमपि तद्यानं निमित्तैः शुभैः
सर्वाः प्रसेदुदिशः ।
पुण्यानां भुवि भूयसामिव तयोराकारितैः संपदा ||१०२ ।। इत्यसगकृतौ शान्तिपुराणे श्रीमदपराजित मन्त्रनिश्चयो नाम द्वितीयः सर्गः ।
से इनका पालन किया है इसलिये आप भी इसी बतलायी हुई विधि से स्वीकृत करें ||६|| और हमारे विषय में आपने जो स्वीकृत किया है वह चक्रवर्ती के आगे कहने के योग्य है, इसप्रकार कहकर बहुत मंत्री श्रमितदूत को विदा किया। दूत ने उपर्युक्त कार्य को स्वीकृत किया ॥ १०० ॥
तदनन्तर फहराती हुई ध्वजाओं से सुशोभित आत्मरचित विमान के ऊपर पहले स्वयं चढ़कर जिसने उन गायिकाओं को उसी विमान पर चढ़ाया था ऐसा विद्याधर - प्रमित दूत हर्षित होता हुआ आकाश में उड़ा । उस समय महलों के मध्य में स्थित सैंकड़ों स्त्रियाँ भीतर भरे हुए विस्मय रस से खुले नेत्रों के द्वारा उसे ऊपर की ओर देख रही थीं ।। १०१ ।। जोरदार ध्वनि से युक्त मेरो उस समय कानों को सुख पहुंचाती हुई शब्द करने लगी, आकाश से फूलों की वृष्टि पड़ने लगी और समस्त दिशाएं निर्मल हो गयीं । यद्यपि वह विमान गुप्त रूप से चल रहा था तथापि इन उपर्युक्त शुभ निमित्तों से वहां प्रकट हुआ। ये शुभनिमित्त ऐसे जान पड़ते थे मानों अपराजित और अनन्त वीर्य की बहुत भारी पुण्य सम्पदा ने ही पृथिवी पर उन्हें आमन्त्रित किया हो-बुलाया हो ।। १०२ ।।
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इसप्रकार महाकवि प्रसंग द्वारा रचित शांतिपुराण में श्रीमान् श्रपराजित के मन्त्र का निश्चय करने वाला दूसरा सर्ग समाप्त हुआ ।
* यथोक्त-ब ० १ उत्पपात २ सुमनसां पुष्पाणामियं सौमनसी: ।
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