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शान्त सुधारस
प्रवचन : १
: संकलना :
* प्रस्तावना । * यह भव-वन है। * अविरत आश्रव-जलवर्षा । * भव-वन में सर्वत्र कर्मों की बेल । * भव-वन में सर्वत्र मोहान्धकार । * तीर्थंकरों की वाणी * तीर्थंकरों की दिव्य करुणा
जिनवाणी पर विश्वास । * जिनवचन रक्षा करते हैं । * जिनवाणी ने आत्महत्या से बचाया । * सगर चक्रवर्ती * डाकू नरवीर * जिनवाणी : कुमारपाल
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