________________
( ६ )
कुमति विध्वंसन चौपई तथा अमरसिंह ढुंढक के पडदादे अमोलक चंद के हाथ की लिखी हुई ढुंढक पट्टावलि के अनुसार नीचे मूजिब है ॥
ढुंढकमत की पट्टावली
गुजरात देश के अहमदावाद नगर में एक लुंका नामक लि खारी ज्ञान जी यति के उपाश्रय में पुस्तक लिखके आजीविका करता था एक दिन उस के मन में बेइमानी आने से एक पुस्तक के सात पत्रे बीच मेसे लिखने छोड दीये, जब पुस्तक के मालक ने पुस्तक अधूरा देखा, तव लुंके लिखारी की बहुत भंडी करके उपाश्रय में से निकाल दिया, और सब को कह दिया कि इस बेइमान से कोइ भी पुस्तक न लिखवावें, इसतरह लुंकाआजीविका भंग होने से बहुत दुःखी होगया और इस्से वो जैनमत का द्वेषी बन गया, जब अहमदावाद में लुंके का जोर न चला तब वो वहां से चल के लींबडी गाम में गया, तहां लुकेका संबंधी लखमशी वाणीया राज्य का कारभारी था, तिस को जाके कहा, भगवंत का धर्म लुप्त हो गया है, मैने अहमदावाद में सच्चा उपदेश करा परंतु मेरा कहना नमान के उलटा मुझ को मार पीट के तहां से निकाल दीया, तब मैं तेरे तरफ से सहायता मिलेगी ऐसे धार के यहां आया हूं, इस वास्ते जेकर तूं मुझ को सहायता करे तो मैं सच्चे दया धर्म की प्ररूपणा करू इस तरह हलाहल विषप्रायः असत्य भाषण कर के बिचारे कलेजाविनाके मूढमति लखमशी को समझाया, तब उस ने उसकी बात सच्ची मान के लुंके कों कहा कि तू लींबडी राज्य में बेधडक प्ररूपणा कर, मैं तेरे खान पानकी खबररखुंगा, इसतरह