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सातवाँ अध्याय बुद्धघोष - युग
(४००ई० से ११००ई० तक)
अट्ठकथा - साहित्य — अट्ठकथा साहित्य का उद्भव और विकास -- अट्ठकथासाहित्य, संस्कृत भाष्य और टीकाओं से तुलना -- अट्ठकथाओं की कुछ सामान्य प्रवृत्तियाँ - पालि त्रिपिटक के तीन बड़े अट्ठकथाकार - बुद्धदत्त - बुद्धोष -- धम्मपाल -- बुद्धदत्त - जीवन-वृन और रचनाएँ—– अभिधम्मावतार — रूपारूपविभाग — विनय विनिच्छय -- उत्तर - विनिच्छय-बुद्धघोष -- जीवन-वृत्त - रचनाएँ -- विमुद्धिमग्गो - - समन्तपासादिका -- कंखावितरणी – सुमंगलविलासिनी — पपञ्चसूदनी -- सारत्थपकासिनी -- मनोरथपूरणी—-परमत्थजोतिका - अट्ठसालिनी - सम्मोहविनोदनीधातुकथा, पुग्गलपञ्ञत्ति, कथावत्थु, यमक और पठान, इन पाँच अभिधम्म-ग्रंथों पर अट्ठकथाएँ ( पञ्चुप्पकरणट्ठकथा ) - धम्मपदट्ठकथाजातकत्थवण्णना- - बुद्धवोप की अन्य रचनाएँ -- पालि साहित्य में बुद्धधोप का स्थान --धम्मनाल-- - जीवन-वृत्त - रचनाएँ-- विमानवत्थु अट्ठकथा -- पेतवत्थु-अट्ठकथा--थेर-थेरी गाथाओं पर अट्ठकथाएँ — उदान, इतिवृत्त और चरियापिटक पर अट्ठकथाएँ -- अनिरुद्ध और उनका अभिवम्मत्यसंगह——-अभिधम्मत्थसंग्रह के सिद्धान्तों का संक्षिप्त विश्लेषण -- बुद्धघोष-युग के अन्य अट्ठकथाकार, उपसंहार । पृष्ठ ४९६-५३६
आठवाँ अध्याय
बुद्धघोष - युग की परम्परा अथवा टीकाओं का युग
( ११०० ई० से वर्तमान समय तक )
सिहली भिक्षु सारिपुन और उनके शिष्यों की टीकाएँ--बर्मी पालि साहित्यइस युग की अन्य रचनाएँ, उपसंहार । पृष्ठ ५३७-५४६
नवाँ अध्याय वंश - साहित्य
'वंश' शब्द का अर्थ और इतिहास से भेद - - वंग-ग्रंथ - दीपवंस - महावंस -- चूलवंस -- बुद्धवोसुप्पत्ति -- मद्धम्मसंगह
महाबोधिवंस थपवंस—