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विषय-सूची
पहला अध्याय
पालि भाषा 'पालि' शब्दार्थ-निर्णय–पालि भाषा-भारतीय भाषाओं के विकास में पालि
का स्थान—पालि किस प्रदेश की मूल भाषा थी? पालि और वैदिक भाषा-पालि और संस्कृत–पालि और प्राकृत भाषाएँ: विशेषतः अर्द्धमागधी, शौरसेनी और पैशाची–पालि के ध्वनि-समूह का परिचयपालि का शब्द-साधन और वाक्य-विचार-पालि भाषा के विकास की अवस्थाएँ–पालि भाषा और साहित्य के अध्ययन का महत्त्व, उपसंहार।
पृष्ठ १-७३ दूसरा अध्याय पालि साहित्य का विस्तार, वर्गीकरण और काल-विभाग पालि साहित्य का उद्भव और विकास–पालि साहित्य का विस्तार
मामान्यतः दो विभागों में उसका वर्गीकरण—पालि या पिटक साहित्य ---अनुपालि या अनुपिटक साहित्य-पिटक साहित्य के ग्रन्थों का संक्षिप्त परिचय और काल-क्रम -अनुपिटक साहित्य का काल-विभाग, उपसंहार।
पृष्ठ ७४-११० तीसरा अध्याय
सुत्त-पिटक पालि त्रिपिटक कहाँ तक मूल, प्रामाणिक बुद्ध-वचन है ? सुत्त-पिटक-विषय,
शैली और महत्त्व-मुत्त-पिटक के अन्तर्गत ग्रन्थों के वस्तु-विधान का संक्षिप्त परिचय और उनका साहित्यिक और ऐतिहासिक महत्त्व:
अ. दीघ-निकाय आ. मज्झिम-निकाय