Book Title: Nandanvan Kalpataru 2011 06 SrNo 26
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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विज्जानिलओ तिलओ भूमीमहिलानिलाडदेसठिओ । धम्मरसायणवेज्जो पुज्जो विलसउ स हेमगुरु ॥२०॥ यस्योपकारमाहात्म्या- दद्याऽपि दृश्यते अहो !। दयासंस्कारप्रचुरा गौर्जरी जनता खलु ॥ २१ ॥ निक्कारणबंधुसमो असरिसकरुणायरो स हेमगुरू । सिरिपुण्णतल्लगच्छा-लंकारो जयउ चिरकालं ॥२२॥
निधिहस्तकरार्काब्देऽणहिल्लपुरपत्तने । प्रतिबोद्धुमिव दिव-स्पतिं सूरिर्दिवं गतः ॥२३॥ अत्थंगए गुरुम्मि गुरुविरहुप्पण्णतिव्वखेयमणो । कुमरनरिंदो छम्मा-साणंतरमुवगओ सग्गं ॥२४॥ श्रीकलिकालसर्वज्ञै- ग्रन्था ये सन्ति निर्मिताः । तान् पठन् सर्वशास्त्रेष्व-स्खलद्गामिमतिर्भवेत् ॥ जड़ होड़ मेरुसिहरी केण वि जीवेण तोलिउं सक्को । तो हेमसूरिपहुणो वयणरहस्सं हवड़ गम्मं ॥२६॥ नवमी जन्मशताब्दी समागता हेमसूरिगुरुराजाम् । समितिसमुद्रनभोयुग-प्रमितेऽब्दे (२०४५) भागधेयेन ॥२७॥ मनसि निधाय तमवसर - मेकादश्यां शुचावसितपक्षे । पं. शीलचन्द्रगणिना रचिता हेमस्तुतिश्चारुः ॥२८॥
यद् बालचापलमिदं कृतवानहकं निमित्तमत्रेदम् । मगुरुं प्रति प्रवहति भक्तितरङ्गो मनसि सततम् ॥२९॥
जयउ सिरी हेमगुरू जयंतु तह तेण विरइया गंथा । जयउ कुमरनरिंदो जयउ अणण्णा य तस्स गुरुभत्ती ॥३०॥
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