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जिनके महलों में हजारों रंग के फानूस जलते थे , आज उनकी कब्र का, निशां भी नहीं।
प्रिय मुमुक्षु 'दीपक',
धर्मलाभ ।
परमात्म-कृपा से आनन्द है । मृत्यु !!! कितना भयावह और डरावना शब्द है ! मृत्यु का नाम सुनते ही अच्छे-अच्छों के छक्के छूट जाते हैं । मृत्यु का आगमन सुनते ही कल्पनाओं का सारा महल धराशायी हो जाता है। किसी की मृत्यु के समाचार तो अपशकुनियाल गिने जाते हैं,
फिर
मृत्यु की मंगल यात्रा कैसे सम्भवित है ? हर व्यक्ति के दिल में जगा यह प्रश्न है। समाधान इस प्रकार हैमृत्यु कोई अमंगल वस्तु नहीं है,
मृत्यु-1
मृत्यु की मंगल यात्रा-1