Book Title: Mrutyu Ki Mangal Yatra
Author(s): Ratnasenvijay
Publisher: Swadhyay Sangh

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Page 170
________________ ६. परमेष्ठि-नमस्कार में नमस्कार महामंत्र की सर्वश्रेष्ठ, उपादेयता नवकार में नवरस, नमस्कार महामंत्र का उपकार, नमस्कार महामंत्र की व्यापकता इत्यादि अनेक विषयों पर. शास्त्रीय व आकर्षक शैली में वर्णन. किया गया है। नमस्कार महामंत्र की श्रद्धा के बढ़ीकरम. के लिए यह पुस्तक अत्यन्त ही उपयोगी है। यह पुस्तक फिलहाल अनुपलब्ध है। पुनःप्रकाशन की योजना है। ७. चिन्तन की चांदनी-पूज्यपादश्री ने राजस्थान की मरुधरा में स्थिरता दरम्यान नमस्कार महामंत्र पर जौं प्रवचन किये थे, उन्हीं प्रवचनों का संकलन प्रस्तुत पुस्तक में उपलब्ध है। पुस्तक अत्यन्त सरल रोचक शैली में लिखी गई है। पठनीय है। मूल्य : छह रुपये ८.. जन-मापं परिचय-जिनेश्वर परमात्मा के द्वारा निर्दिष्ट मार्ग 'जैन-मार्ग' कहलाता है। 'जन-मार्ग' की साधना द्वारा किस प्रकार प्रात्मा की पूर्णता प्राप्त की जा सकती है, इसका सरल व श्रेष्ठ उपाय प्रस्तुत पुस्तक से प्राप्त होता है। पुस्तक फिलहाल अप्राप्त है। पुनःप्रकाशन की भावना है। ६. चिन्तन की चिनगारी- इस पुस्तक में मैत्री आदि भाव सम्बन्धी अनेक ले व हैं। प्रात्मा के प्रभुत्वाला के लिए जीवन में मैत्री आदि भावों को किस प्रकार आत्मसंपन लिया जाय, उसका सहज व सरल मार्गदर्शन प्रस्तुत पुस्तक में है। इसके साथ जीवन-स्पर्शी अनेक विषयों पर भी इसमें सुन्दर चर्चा की गई है। मूल्य : चार रुपये पचास पैसे मृत्यु की मंगल यात्रा-151

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