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विविध शरबत आदि शारीरिक, धार्मिक और आध्यात्मिक, हर दृष्टि से नुकसानकारी हैं।
जितने भी जमीकंद हैं, वे सब अनन्तकाय कहलाते हैं। उन सब में अनन्त जीव हैं। कन्दमूल का भक्षण करने से अनन्त जीवों की हिंसा होती है। जीवन-निर्वाह के लिए आहार-ग्रहण करना हो पड़े तो कम-से-कम इन अभक्ष्य पदार्थों का त्याग तो अवश्य करना ही चाहिये।
दुर्लभता से प्राप्त यह मानव-जीवन आत्म-कल्याण और संयम-साधना के लिए है।।
रात्रि में भोजन करने से अनेक सूक्ष्म जीवों की हिंसा होती है। सूर्यास्त के साथ ही चारों ओर वातावरण में असंख्य सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति हो जाती है, वे जीव आँखों से अगोचर होते हैं। विद्युत्प्रकाश में भी उन्हें देखा नहीं जा सकता है।
रात्रिभोजन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी हानिकारक है। दिन में सूर्य की गर्मी होने से भोजन सहजता से पच जाता है, जबकि रात्रि में सूर्य-किरणों के अभाव के कारण पाचन-तंत्र कमजोर हो जाता है । अतः रात्रि में किया गया भोजन अनेक रोगों को भी आमन्त्रण देता है।
जीवन के लिए आहार की आवश्यकता रहती है, परन्तु केवल आहार के लिए यह जीवन नहीं है।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि तुमने जीवन भर के लिए रात्रिभोजन त्याग की प्रतिज्ञा स्वीकार की है ।
मृत्यु की मंगल यात्रा-110