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सूर्यमुखी दिन में खिलता है, पर रात में नहीं । चन्द्रमुखी रात में खिलता है, प्रभात में नहीं। अन्तर्मुखी हर क्षण खिलता ही रहता है ।' क्योंकि उसकी मुस्कान किसी के हाथ में नहीं ।
प्रिय मुमुक्षु 'दीपक' !
धर्मलाभ।
परमात्मा की असीम कृपा से प्रानन्द है। संयम-स्वाध्याय साधना सानन्द चल रही है। कल तुम्हारा पत्र मिला । 'संसार की वृत्ति-प्रवृत्तियों के प्रति तुम्हें अरुचि पैदा होती जा रही है।' यह जानकर मुझे प्रसन्नता हुई।
दिल में प्रज्ज्वलित 'वैराग्य' की ज्योति को अधिक प्रदीप्त करने के लिए वैराग्य रस से परिपूर्ण ग्रन्थों का वाचन अनिवार्य है। ___'वैराग्यशतक' की एक-एक गाथा में संसार के प्रति विरक्ति जगाने की ताकत है। शर्त है उन गाथाओं का पुनःपुनः स्वाध्याय और अर्थचिन्तन होना चाहिये ।
'षोडशक' ग्रन्थ में सूरिपुरन्दर प्राचार्य श्रीमद् हरिभद्र
मृत्यु की मंगल यात्रा-93