________________
• अल्पारम्भ, अल्प-परिग्रह वाली और स्वभाव से मृदु और सरल प्रात्माएँ मनुष्य प्रायुष्य का बंध करती हैं ।
• सराग-संयम, बाल-तप और अकामनिर्जरा से आत्मा देवगति के आयुष्य का बंध करती है ।
• देवगति के देव पुनः देवगति के आयुष्य का बंध नहीं करते हैं. अर्थात् देव मरकर देव नहीं बनते हैं।
• देव मरकर नरक में भी पैदा नहीं होते हैं ।
• नरकगति के जीव देव और नरकगति के आयुष्य का बंध नहीं करते हैं।
• मनुष्य मरकर सभी गतियों में पैदा हो सकता है।
• तिथंच गति के जीव सभी गतियों में पैदा हो सकते हैं।
इस सचराचर विश्व में मनुष्य-जीवन की प्राप्ति अत्यन्त दुर्लभ है।
भगवान महावीर परमात्मा ने इस विश्व में चार वस्तुएँ अत्यन्त दुर्लभ कही हैं
चत्तारि परमङ्गारिण, दुल्लहारिण उ जंतुणो। माणुसत्तं सुइ सद्धा संजमंमि य वीरियं ॥ इस विश्व में चार वस्तुओं की प्राप्ति अत्यन्त दुर्लभ हैमनुष्य-जन्म, धर्म-श्रवण, धर्म-श्रद्धा और संयम में पुरुषार्थ ।
मृत्यु की मंगल यात्रा-30