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तृतीये बाध्याताप्पाये द्वितीयः प्रत्यपपादः
२३३ २. अशुषत् । अट् + शुष + अण् + दि । “शुष्ल शोषणे" (३।२७) धातु से अद्यतनी (=लुङ् लकार) संज्ञक प्रथम पुरुष - एकवचन दि-प्रत्यय, अन्य प्रक्रिया पूर्ववत् ।
___३. अयुतत् । अट् + द्युत + अण् +दि । 'द्युत दीप्तौ' (१।४७३) धातु से अद्यतनीसंज्ञक दि-प्रत्यय तथा अन्य प्रक्रिया पूर्ववत् ।
४. अश्वितत् । अट् + श्विता + अण् +दि । 'श्विता वर्णे' (१।४७४) धातु से अद्यतनीसंज्ञक दि-प्रत्यय तथा अन्य प्रक्रिया पूर्ववत् ।
५. अगमत् । अट् + गम्ल + अण्+दि । 'गम्लु गतौ' (१।२७९) धातु से अद्यतनीसंज्ञक दि-प्रत्यय तथा अन्य प्रक्रिया पूर्ववत् ।
६.अपसत् । अट् + अद+दि । 'अद भक्षणे' (२११) धातु से अद्यतनीसंज्ञक दि-प्रत्यय, अडागम, “अदेर्घस्लू सनद्यतन्योः " (३।४।७९) से अद् को घस्लृ आदेश तथा अन्य प्रक्रिया पूर्ववत् ।
७. आरत् । ऋ+अण्+दि । '३ गतौ' (२|७४) धातु से अद्यतनीसंज्ञक दि-प्रत्यय, प्रकृत सूत्र से अण् प्रत्यय, “अर्तिसोरणि" (३।६।११) से ऋ को गुण, “अवर्णस्याकारः" (३।८।१८) से अकार को आकार ।
८. असरत् । अट् + सु + अण्+दि । ‘स गतौ' (२।७४) धातु से अद्यतनीसंज्ञक प्रथमपुरुष - एकवचन दि-प्रत्यय, अडागा, प्रकृत सूत्र से अण् प्रत्यय, "अर्तिसोरणि" (३।६।११) से ऋ को गुणादेश तथा दि-गत इकार का लोप ।
९. अशिवत् । अट् + शास+अण् + दि । 'शासु अनुशिष्टौ' (२०३९) धातु से अद्यतनीसंज्ञक दि-प्रत्यय, अडागम,प्रकृत सूत्र से अण् प्रत्यय,“शासेरिदुपधाया अण्व्यञ्जनयोः" (३।४।४८) से आकार को इकार तथा “शासिवसिघसीनां च" (३।८।२७) से सकार को षकार ।।४७८।
४७९. इजात्मने पदेः प्रथमैकवचने [३।२।२९] [सूबा
पद धातु से पर में इच् प्रत्यय होता है कर्ता अर्थ में अद्यतनी संज्ञा के आत्मनेपद - प्रथमपुरुष - एकवचन में ॥४७९ ।
[दु० वृ०]
पदेर्धातोरिच परो भवति, कर्तयर्थतन्यामात्मनेपदे प्रथमैकवचने परतः। उदपादि, समपादि । “इच् ते पदेः" इति सिद्धे गुरुकरणं योगविभागाम्, तेन