Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 01
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 544
________________ १५७ मयोग्यत्वम् २१ २६७ ४९८ कातन्त्रव्याकरणम् क्र०सं० विशिष्टशब्दाः पृ०सं० | क्र०सं० विशिष्टशब्दा: पृ०सं० १०१. आत्मेच्छा १४४ |१३०. उपचार: २, १३९ १०२. आधाष्यम् १५५ १३१. उपचारात् ५४ १०३. आनन्तर्यम् १, २, ७ |१३२. उपचाराश्रयणं कष्टम् ४४, ७६ १०४. आनर्थक्यम् १९ १३३. उपदेश: १३३ १०५. आप्तवचनम् ९४ |१३४. उपपदग्रहणम् १०६. आभीक्ष्ण्यम् ९८, १५६, २९७ /१३५. उपपदम् १२० १०७. आम्नायः १५१, २०३, २०५ |१३६. उपपदविभक्तेः कारक१०८. आम्नायविरुद्धस्य ज्ञापयितु विभक्तिर्बलीयसी |१३७. उपपदाश्रितः १०९. आशंसनम् |१३८. उपलक्षणम् १४, ८९, ९८ १३९. उपलक्षणमात्रमेतत् २८६ ११०. आशंसावचनम् १४०. उपसर्गा हि द्योतकाः १२९ १११. आशङ्का १४०, १४२ १४१. उपस्कारः ९३ ११२. आशी: ६४, ७७, ८८, ११२ १४२. उपाख्या ११३. आश्चर्यम् १४३. उपाधिः १२१ ११४. आश्रयसाधनम् १४४. उपाधिद्विविधः ११७, ११८ ११५. इच्छा च कान्तिरुच्यते १४५. उभयपदम् ११६. इच्छामन्तरेण न किया |१४६. उभयप्रमाणवादी ४०८ ११७. इतरेतराश्रयदोषः (१४७. ऋत्वादिः ११८. इत्याशयः |१४८. एककालार्थ: ११९. इष्टवाची |१४९. एकदेश: १२०. इष्टसिद्धिः |१५०. एकदेशलोपः १२१. इष्टाश्रयणम् ६, १५१. एकवाक्यता १२२. इह व्याकरणे साधनायत्तो |१५२. एकवाक्यतापक्षः ३१७ दयं सर्वम् ४२ |१५३. एकशब्दोऽनेकशक्तिः १२३. उक्तार्थता १५२ १५४. एकसंवादनिबन्धनम्०. २८१ १२४. उक्तार्थत्वात् २१४ १५५. एकार्थतायाम् ३१ १२५. उक्तिबाधा ३, ७, ८ |१५६. एते बालानामप्रसिद्धाः १२६. उच्चानि गृहाणि देवदत्तस्य ३२२ |१५७. एवमन्येऽपि शिष्टप्रयोगा१२७. उत्सर्गसिद्धम् २२ नुसारेण वेदितव्याः ३०४ १२८. उत्सर्गसिद्धिः २२ /१५८. एवमन्येऽप्यनुसर्तव्याः ८०, २९७, १२९. उद्देशः ३०८, ३१८ 3 " 9 m - १९ २९९ १९९

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