Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 01
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 520
________________ १०५ १०५ ३. अकर ६३ » 3 २२८ परिशिष्टम् - २ = रूपसिद्धिः क्र०सं० शब्दरूपाणि पृ०सं० | क्र०सं० शब्दरूपाणि पृ०सं० १. अकरिष्यत् ६४ |२९. अधिजिगांसते २९० २. अकरोत् ६३ |३०. अधीध्वम् अधीध्वम् अकारि कटो भवता २३७ |३१. अधीष्व अधीष्व अकार्षीत् | ३२. अधीष्व माणवक ! पुरा अकार्षीत् विद्योतते विद्युत् अकृक्षत् ३३. अनुकरोति अक्रुक्षत ३४. अनेनेक् ३७५ ८. अख्यत् ३५. अनैषीत् २१९ अगमत् २३३ | ३६. अपास्थत २२८ १०. अघसत् | ३७. अपाक्षीत् २१९ ११. अचकमत २२५ | ३८. अपीपचत् २२५, ३३५, १२. अचीकरत् ४०५, ४०७ १३. अजजन् ३३९ | ३९. अपुषत् अजिहीत ४०. अप्सरायते १६६ १५. अजुहोत् ३३८ | ४१. अभिषेणयति १७२ १६. अजूहवत् |४२. अभिक्षिपति २९६ अटाट्यते १९४, ३१८ | ४३. अभेदि कुशूल: स्वयमेव २७१ अटिटिषति |४४. अमार्सीत् १९. अतत्वरत् |४५. अमिमीत ३७८ २०. अतासीत् २२० |४६. अमृक्षत् २२० २१. अतिहस्तयति १७१, | ४७. अरार्यते १९४ २२. अतिक्षिपति २९६ | ४८. अरिरिषिति ३१८ २३. अतृपत् |४९. अर्चिचिषति ३२२ २४. अत्ति ५०, २९५ |५०. अर्थापयति २५. अदासत् २२० ५१. अलिपत् २२८ २६. अदुद्रुवत् ५२. अलिक्षत् २२२ २७. अदृपत् २२० । ५३. अलीलवत् २२६, ४०५ २८. अद्युतत् २३३ / ५४. अवचूर्णयति १७१ २३२ १४. ३७७ ४०७ १८. ३३६ २२० x०५ २२० २२५

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