Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 01
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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४९४
क्र०सं० शब्दाः ५७. कारयति
५८. कुटीयति प्रासादे ५९. क्रिया
६०. क्रियाकाल:
६१. क्रियाभाव:
६२. क्रियासमभिहार:
६३. गरयति
६४. गर्दभत्यश्व:
गवयति
६५. ६६. गविष्ठः
६७. गालोडयति
६८. गोमान् ६९. गौण :
७०.
चिचैत्रीयिषति
७१. जङ्गमः ७२. जाज्वल्यते
७३. जिघांसति
७४. जुगोनदीयिषति
७५. त्रपयति
७६. दवयति
७७. देवदत्तस्य गुरुकुलम् ७८. द्राघयति
७९. द्वयम्
८०. निमन्त्रणम् ८१. निरूपयति
८२. नुनौयमानीयिषति ८३. नेदयति
८४. न्याय्यम्
८५. पटिमा
८६.
८७.
पटिष्ठः
पटीयान्
कातन्त्रव्याकरणम्
पृ०सं० क्र०सं० शब्दाः
१८७ ८८. परस्मैपदम्
१५०
८९. परोक्षम्
३७ ९०.
१८ ९१.
पापचिषते
पापच्यते
९२. पुतित्रीयिषति
३८, ४१
९९, १९० ९३. पुत्रीयति
१८२ ९४. पुत्रीयियिषति १५३ ९५. पुपुतित्रीयियिषति १८२ ९६. पुपुत्रीयिषति
१८२ ९७. पूजा
१८१
९८. प्रकृति :
१८२ ९९. प्रणायकः
३१ १०० प्रत्यय:
३५८ | १०१. प्रयोगः
१९० १०२. प्रवृत्तोपरत:
१८९ १०३. प्रापयति
३०१ १०४. प्रार्थनम्
३५८ १०५. प्रार्थना
१८२ १०६. प्रियः
१८२ १०७. बंहयति
१४५ १०८. भूतकरणवत्यः
१८२ १०९. भूमा
३२४, ३२५ | ११०. भूययति
९२ १११. भूयान् १६८ ११२. भूयिष्ठः ३५८ ११३. मण्डप :
१८२ ११४. मयूरः
७१ ११५. मुख्य: १८३ ११६. मुण्डयति
१८३ ११७. यवयति
१८३ ११८. यविष्ठः
पृ०सं०
८
६५, ७०
३८०
१८८
३१२
१४४, १५०
३१२
३१२
३१२
९४
११७
४५
११७, ११८, १२५
८०
७३
१६८
८९
९२
३०४
१८२
६२
१८२
१८२
१८२
१८२
६९, ७२
६९
३१
१६८
१८२
१८२

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