Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 01
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 539
________________ परिशिष्टम् - ४ = व्युत्पत्तिपरकशब्दाः ९४ १८१ ४० क्र०सं० शब्दाः १. अतिहस्तयति २. अदाब्दा: ३. अद्यतन: अधिकार: अध्ययनम् अध्यात्मम् अध्येषणम् ८. अनभ्यासः अनुकृतम् १०. अनुज्ञा ११. अनुमतिः १२. अन्त्यस्वरादिः १३. अब्भक्ष: १४. अभिषेणयति १५. अभ्यासः १६. अल्पिष्ठः १७. अल्पीयान् १८. अवचूर्णयति १९. अवतृलयति २०. अवशेष्यम् २१. अशिश्वीयिषति २२. अश्वयति २३. अश्वीयियिषति २४. अक्षरम् २५. आचारः २६. आत्मनेपदानि २७. आत्मीयसंज्ञा २८. आत्मेच्छा पृ०सं० । क्र०सं० शब्दाः पृ०सं० १६८ | २९. आमन्त्रणम् ३५ | ३०. आरर्यत् ३१८ | ३१. आशी: . ६६,६९,८८ ३०५ |३२. इन्दिद्रीयिषति ३१८ | ३३. ईट् १८२ १४५ | ३४. ईयिषिषति ३१२ ३५. ईशयति २९८ ३६. उक्तिः १७, ३०१ | ३७. उक्तिबाधा ८८ ३८. उत्थानम् ८७ | ३९. उपमानम् १५०, १५१ १८१ ४०. उपलक्षणम् ३१५ | ४१. उपवीणयति १६८ १६८ ४२. उपश्लोकयति १६८ ३२३ ४३. उभयतोभाष: १८२ ४४. ऊर्ध्वमुहूर्तम् ८१, ८३ ४५. ऊर्ध्वमौहूर्त्तिकः ८३ १६७ ४६. अजयति १८६, १८७ १६८ ऋत्वाद्याख्या ३४० ४०० ४९. एकक्रियाकाल: ५०. एकक्रियाकालाभिधानम् ३१२ एकस्वरः ३०२ ५२. और्ध्वमौहूर्तिक: १५० | ५३. कण्डूयियिषति ३१२ | ५४. कथक: १७५ ६६ | ५५. कनयति १८२ १४४ | ५६. कर्मकर्ता २६२ २७९ १८२ ५३ ४८. ऋमान् ३१२ १८१ १८ ८२

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