Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 01
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 541
________________ ४९५ पृ०सं० क्र०सं० शब्दाः ११९. यवीयान् १२०. याच्या १२१. योजयति १२२. वचनम् १२३. वरयति १२४. वर्तमानः १२५. वारयति १२६. वितूस्तयति १२७. विभक्तयः १२८. विशेष: १२९. वीप्सा १३०. वृन्दयति १३१. वृक्षयति १३२. व्यापारः १३३. श्वेतयति १३४. संवर्मयति १३५. संवस्त्रयति १३६. संवाहयति १३७. संवेशनम् परिशिष्टम्-४ पृ०सं० | क्र०सं० शब्दाः १८२ १३८. सत्तानित्यता |१३९. सत्यापयति १७९ | १४०. समभिहार: ३०१ | १४१. समर्थना १८२ | १४२. सम्प्रश्न: ६५, ७२ | १४३. साधनायत्तोदयम् १८६ | १४४. साधयति १६७ १४५. सामीप्यः १, २, ३ १४६. साहयति १४७. स्थवयति |१४८. स्रजयति |१४९. स्त्रुचयति १८७ |१५०. स्वरादिः |१५१. स्वात्मा १६७ | १५२. ह्रसयति १६७ /१५३. हरयति १७९ | १५४. क्षेपयति ७१ ।१५५. क्षोदयति १६८. १८९ ८८, ९० ९२ ३८, ४२, ४४ १८२ ६७, ७०, ७४ १७९ १८२ १८१ १८२ १८१ ३१४ ८८ १४० १ /9 १८२ १८६ १८२ १८२

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