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पहला अध्याय : केन्द्रीय शासन व्यवस्था
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कथा है। घोड़ा राजकुमार की प्रदक्षिणा करने के बाद उसके सामने आकर खड़ा हो गया । तत्पश्चात् नागरिकों ने उसके शरीर पर राजलक्षणों को देख जय-जयकार किया, फिर नन्दिघोष सुनाई देने लगा । घोष सुनकर करकण्डु नींद से उठ बैठा । गाजे-बाजे के साथ उससे नगर में प्रवेश किया और उसे कांचनपुर का राजा घोषित कर दिया गया । इसी तरह नापित-दास नन्द की ओर घोड़ा पीठ करके खड़ा हो गया और उसे पाटलिपुत्र का राजा बना दिया गया । चोरी के अपराध में मूलदेव को गिरफ्तार कर उसे फांसी पर चढ़ाने के लिए ले जा रहे थे । इस समय कोई पुत्रहीन राजा मर गया। रिवाज के अनुसार घोड़े को नगर में छोड़ा गया, घोड़ा मूलदेव की ओर पीठ करके खड़ा हो गया और मूलदेव को फांसी पर न चढ़ाकर उसे राजगद्दी पर बैठा दिया गया ।
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राज्याभिषेक समारोह
अभिषेक-समारोह बहुत धूमधाम से किया जाता था । जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति में भरत चक्रवर्ती के अभिषेक का विस्तृत वर्णन किया गया है । अनेक राजा-महाराजा, सेनापति, पुरोहित, अठारह श्रेणी - प्रश्रेणी और वणिक् आदि से परिवृत जब भरत ने अभिषेक भवन में प्रवेश किया तो सबने सुगंधित जल से उनका अभिषेक किया और जय-जयकार की घोषणा सर्वत्र सुनायी देने लगी । उपस्थित जनसमूह की ओर से उन्हें राजमुकुट पहनाया गया, रोंयेदार, कोमल और सुगंधित तौलियों से उनका शरीर पोंछा गया, मालाएं पहनायीं गयीं और विविध आभूषणों
१. उत्तराध्ययनटीका ६, पृ० १३४ ।
२. श्रावश्यकचूर्णी २, पृ० १८० ।
३. व्यवहारभाष्य ४, १६८ - १६६, पृ० ३२ | दरीमुह जातक ( ३७८, पृ० ३६८ ) में इसे फुस्सरथ समारोह कहा गया है। राजा की मृत्यु होने के सात दिन बाद, यदि वह सन्तानविहीन हो, तो पुरोहित चतुरंगिणी सेना लेकर बाजे-गाजे के साथ फुस्सरथ को नगर में घुमाता है। जिस किसी के पास पहुँच कर रथ ठहर जाये, उसे राजा बना दिया जाता है । तथा देखिये महाजनक जातक (५३६, पृ० ३६ ); कथासरित्सागर, भाग ५ अध्याय ६५, पृ० १७५ – ७७, 'पंच दिव्याधिवास' नोट; जर्नल व रिंटिएल सोसायटी, जिल्द ३३, पृ० १५८-६६ । --४ जै० भा०