Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 602
________________ शब्दानुक्रमणिका दूती (विद्या)३४६ देवानन्दा १० नोट, २२४, ३४६ नोट, दूमिय (चूने से पोता गया) ३३४ ४९५ नोट . दूरभव्य (गोशाल) १६ देशस्तेन ७२ दूप्य (दुस्स-धुस्सा) देशीभाषा (अठारह)५९, २०४, ३०४, दूष्य (पाँच प्रकार के)२०९-१० ३०४ नोट दृष्य (विजय)२०९ दोर (डोरी)३०० दूप्यों की दूसरी सूची २१० दोसिय ( वस्त्र के व्यापारी) १४०, २२२ दृष्टपाठी ३०८ दोसियशाला १८६ दृढ़प्रतिज्ञ २९३ दोहणवाडग (गाय दुहने के बाड़े) दृष्टियुद्ध १०५ १३३ दृष्टिवाद १५, २६, २६ नोट (भूतवाद), दोहद २३९, २४०, २७२, ३४६, ३५२ २९, ३०, ३३ दौवारिक ५५, ५५ नोट दृष्टिवाद (पढ़ने का निषेध )२४९ युतगृह ३६४ देउलभीरा (बांकुड़ा)९ द्रम्म ११० नोट, १८८, १८८ नोट, ४७७ देयड़ (दृतिकार=मशक बनाने वाले) द्रविड़ (दमिल) १२०, ४५८, ५२३ १५१, २२२ द्रुपद १९७, २५८, ५०५ द्रुपदकन्या (द्रौपदी) ४७० देव-आराधना ३५२-५३ द्रोणमुख १७१ देवक (भोजवृष्णि का पुत्र) ५०१ द्रोणी (छोटी नाव) १८५ देवकी ४४०, ४४१, ५०१, ५०२ द्रौपदी (पंचभर्तारी) ५३, ९२, ९२ नोट, देवकुल ३३६, ३३७, ४०१, ४४० १९७, २४८, २५८, २५९,२६३, २६९, देवकुलिका २७०, २७१, ३६६, ४३९, ३३५, ३४६नोट, ३५३, ३८६, ५०५ ४३९ नोट, ४४६ द्वादशांग १८, २६, २८ नोट देवदत्त २६८ द्वारका (द्वारिका द्वारिकापुरी) १०६ देवदत्त (शिशु)७२, १६० नोट, १७४, १७७, १८३, १९७, १९८, देवदत्ता (रानी)८४ २५८, २६३, २९०,३११,३८७, ४७२, देवदत्ता (गणिका)२७४, ३६० ___५०१, ५०३, ५०४, ५२५ देवदत्ता ( उज्जैनीवासी वेश्या) २७७, | द्विगृद्धिदशा के अध्ययन ३३ नोट __२७८, ३४४ नोट द्विजाति ४०० देवदत्ता (सुवर्णगुलिका) ९२ नोट, ३४४ द्वीप (सौराष्ट्र में) १८९ नोट, ५१४, ५२० द्वोपायन ४१७, ४१७ नोट, ४२८, ४७२, देवद्रोणी ४२७ ५०४, ५०५ देवनागरी वर्णमाला ३०२ द्वैक्रियवादी १९ देवर के साथ विवाह २६६ देवर्धिगणि क्षमाश्रमण २४, ३०, ४७३ ध . देववंदनादि भाष्य ३६ धणुपिट ३१८ देववाचक २८ नोट .... धणुहिया (धनुही) १३१, ३१९ देवशर्मा ४३९ धनकटक (बेजवाड़ा) ४८७ देवसेन (दिगंबर आचार्य) २१ । धनगुप्त १९

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