Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 621
________________ ६०० जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज ... मोरागसंन्निवेश ४१२ .. | यज्ञीय अध्ययन २२७ मोरियपुत्त तामलि ४२३, ४६६ -- -- यतिगण ४१ मोरियसंन्निवेश १७ यतिवृषभ आचार्य १० नोट मोहनी (विद्या) ३४२ यदुकुल ५,५०० मोहर (दण्डिका)५८ नोट यम ४३३ मोहरिय (मौखरिक) ४२५ यम-यमी संवाद ३ नोट मौर्यकाल ९६ यमुना ४३६ नोट, ४७०, ५००, ५०२ मौर्यपुत्र (काश्यपगोत्रीय) १७ । यवन देश ३३०, ३७१ मौर्यवंश ५८, ८६, ५२१-२४ । यवनद्वीप ९४, १८३, ४६३, ४९६ मौर्यवंश की जौ के साथ तुलना ५२२ | यवनिका (जवणिया) २११, २७१, ५१८ मौष्टिक ३६९, ४३८, ४६४ | यवस (हाथी का चारा) १००, १०३ मौसी की लड़की से विवाह २६६ यशस्तिलकचंपू ४८३ म्लेच्छ (मिलक्खु)२३१ | यशोदा (नन्द की पत्नी)५०३ म्लेच्छ भाषा १०४ | यशोदा (कौंडिन्यगोत्रीय) १०, १० म्लेच्छ (राजा)९४ __नोट, ४९५, ४९६ नोट म्लेच्छों में मुर्दै गाड़ने का रिवाज ३७० यशोभद्र १८, २० ग्लेच्छित (लिपि) ३०३ यशोमती (शेषवती) १०, ४९५ यश्रुति ३३ यंत्रपीड़न १२५ याज्ञवल्क्य २९४ नोट, ४२५ यंत्रमय कबूतर (कपोत) १४८, ४०३ याज्ञवल्क्यस्मृति ४४५ यंत्रमय हंस ४०३ .यादव ५, ४७२, ५००, ५०३ यंत्रशाला (जंतसाला) १२५: । यादवकुमार ५०३, ५०५ - . यानरथ ९५ यक्ष १८४, २३६, २७१, ४४५-४६, ४४७ यान-वाहन १७८-८२ यक्ष (तेरह) ४३८. .. यानशाला १८१, १९८ यक्ष बनकर कन्या का उपभोग २६७ यानशालिक ६२-६३ यक्षगृह ३२९ नोट युक्तिप्रबोध २० नोट यक्षग्रह ४४२ युगबाहू (युवराज) ३१६, ४९४ यक्षपूजा ४४८ युग्य ३६० यक्षप्रतिमा ४४८ युद्धनीति १०४-१०७ यक्षमन्दिर २४८, २८० युद्धमह ३६७ यक्षमह ४३७-४७ युद्धविद्या २९८ यक्षमूर्तियाँ ४४६ युद्ध कला-कौशल १०४ ... यक्षसभा ४३९ युद्ध के कारण ९२-९५ यक्षायतन ४३७, ४४२,४४५-४७, ४४८ युद्ध के प्रकार १०५, १०५ नोट, ३६९ यज्ञ के लक्षण २२५ युधिष्ठिर २६३ यज्ञ-याग २२७-२२० । युवराज ५९, ५९ नोट यज्ञवाटक २८८ . युवराज और उसका उत्तराधिकार ४३यज्ञ-संखडी ३६६ नोट

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