Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan
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शुद्धिपत्र
पंक्ति ३
८ फुटनोट २
অযু पूरमाकस्सप तन्तुशाला निरयाललिका पुष्पिक
शुद्ध पूरणकस्सप तन्तुवायशाला निरयावलिका पुष्पिका
को
पुष्पनंदि रुक्मिण हिरण्यनाभि ..
९३ ॥
१२२ १२३ १३१ १३१ १३१ १३२
हिमवत गंधशालि सुप्तकत्तर घणुहिया करम
पुष्यनंदि रुक्मी हिरण्यनाम कुम्भक हिमवंत गंधशालि सुत्तकत्तर धणुहिया करभ कांचनपुर धन्य हिरिमन्थ हालाहला गृध्रस्पृष्ट
कंचनपुर
१३३
१४७
१५० १५८
को
१६१
१९० १९५ २२२
धनदेव हरिमन्थ हालाहल गृध्रपृष्ठ कत वड भी पतिमान है (पूरंपूरी) कंसेरे वीतिमय अवपक्व अमरकंका महाशत जोख मिथ्याप्रवान अढवय
२५४
२५६ २६३ २६८
२८९
वडभी प्रतिमान है। पूरंपूरी) कसेरे वीतिभय अवपक्क अवरकंका महाशतक जोक मिथ्या प्रवचन अट्ठावय ७. स्वास्थ्य मार्गसूचक उदयन नंद्यावर्त अस्थिकग्राम प्रज्ञप्ति
२९५
२९५ फु०
२९६
स्वास्थ्य
३०१ ३२० ३२३
. १५
५ .१७.
मार्गसूचक में
उदय -- मंद्यावर्व
अस्थिग्राम प्रज्ञाप्ति

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