Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 638
________________ शब्दानुक्रमणिका ६१७ स्त्रियाँ (चौदह रत्नों में )२५० । स्नानगृह ३३५, ३३५ नोट स्त्रियाँ न्यायाधीश ४५ नोट स्नानपीठ ३३५ । स्त्रियाँ पुरुष को बाँधने वाली २४७ नोट । स्फुटसिद्धान्त ३७५ नोट स्त्रियाँ मैथुनमूलक २४७-४८ स्फोटकर्म (हल चलाना) १२१ स्त्रियों का उपसर्ग ४०४-६ स्यंदमानी १८१ स्त्रियों का गर्भधारण (पुरुष-सहवास स्वप्न २३७-३९, ३५०, ३५१ के बिना)२८२ नोट स्वप्नों के भेद ३५१ नोट स्त्रियों का स्वभाव २४६ स्वप्नपाठक २२८, २७१ त्रियों की प्रसाधन सामग्री १५४-५ स्वप्नशास्त्र (सुमिणसस्थ) २३७ स्वप्नशास्त्र (प्राकृत में) २३८ नोट त्रियों की स्थिति २४५-८५ स्वयंभूरमण ४५७ स्त्रियों के संबंध में उक्तियाँ २४७ स्वयंवर (विवाह)२५८-६० स्त्रियों के अनेक नाम २४६-४७ स्वयंघरमण्डप २५८, २५९, २६०, ३३५ स्त्रियों के कारण युद्ध ९२ स्वर (सात) ३२० स्त्रियों के प्रति सामान्य मनोवृत्ति स्वरप्रामृत (पूर्वग्रन्थ) ३२० २४५-५० स्वरस्थान ३२१ त्रियों को दण्ड ८२, ८३, ८४ स्वरों का उचारण ३२१ । स्त्रियों से भय (ब्रह्मचारी को)२४६ स्वरों के प्रकार ३२१ स्त्री-नरेन्द्र ४५ स्वरों के लाभ ३२१ स्थंडिल (मृतक का दग्ध स्थान)३७१ स्वाध्यायसम्बन्धी शकुन ३५७-८ स्थंडिल की ओर गमन ३७२ स्थगिका (पानदान)२५६ हंस (परिव्राजक) ४१७, ४१७ नोट स्थलपट्टण १७१ हंसतेल १५३, ३१६, ३९९ -आनन्दपुर, मथुरा, दशार्णपुर स्थलमार्ग १७० हक्कारनीति ४२ हजारीबाग ४ स्थलमार्ग से व्यापार १७१ हडिबग ८२ स्थविरकल्प २० नोट हत्थिकप्प (हाथब)५०५ स्थविरकल्पी ३९१-३९२ | हस्थितावस ४१३ स्थविरकल्पियों के उपकरण (चौदह) हस्थिवाउअ (महावत)१०० हत्थिसीस १७५ स्थविरावलि (गण, कुल, शाखा) ३४ हत्यारों को दण्ड ८४ स्थानकपुर (ठाणा) १७१ नोट हथौड़ा १४६ स्थानस्थायी १८० स्थानांगसूत्र २१०, २९५, ३०७, ३२० | हयवाहन ४३२ नोट हरिकेश (शी)(चांडाल मुनि) २५ स्थानीय शासन ११५-६ २८८ स्थापत्यकला ३३०-३८ हरिकेश ३४० स्थापत्यकला (धार्मिक) ३३६ हरिकेश (यक्ष) ४३८ नोट स्थापत्यविद्या ४ हरिकेशीय अध्ययन २२५ स्थूणा २२, ४५८ हरिचन्दन ( श्वेतचन्दन) १५३ स्थूलभद्र १८, २१, २२, २९, २७७, | हरिणेगमेषी २३६, ३४२, ११ ४८२, ४८६, ५२१ । ४३० नोट, ४४०, ४४१, ५०२ नोट ४० ज० आ० र ३४६ नोट,

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