Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 639
________________ ६१८ जैन श्रागम साहित्य में भारतीय समाज हरित वनस्पति १३६ | हाथियों के विशिष्ट नाम ९७-९९ हरिभद्र २४, ३६, (याकिनीसुनु)३७, हाथियों को वश में करना १०० ७० नोट, १०२ नोट, ३०५, ४७०, | हाथीगुंफा ४६७ ५०१ नोट हरिवंशपुराण १० नोट, ४७८ हाथीदांत १७३, १७६ हाथीदांत का काम १४६ हयंतअ ३३४ हर्षवर्धन ४७१ हाथी-दाँत का प्रासाद १७४ हल (अस्त्र) १०७, हल ४३३ हारलता (वेश्या) २७७ नोट हलों के प्रकार १२१ हाल (शालिवाहन)५२४ - हालाहला (कुम्हारनी) १३, १४७, ४२०, हलदेवता १२० हिंगुशिव ४३५ नोट हल (राजकुमार) १०५, ५०८, ५११, हिंगोल १९६, ३६४ ५११ नोट, ५१२ हस्ति (यंत्रमय ) ३३० हिंसा (वेदविहित) हस्तितापस (हस्थितावस) १३८ २०३, | हिन्दुस्तानी ३२ हिमवन्त (हिमवन् हिमालय) ९५, ४०८, ४१३ १५३, ४५६ हस्तिद्वीप ४६३ , हिमवन्तकूड ५२२ हस्तिनापुर ४, ६, २५८, २६३, ३५३, ४१४ नोट, ४७६, ४९४, ४९६, ४९९, | हिययउड्डावण ३४४ हिरण्यनाम (हिरण्यनाभि ?) ९२ हस्तिपाल १२, ११३, ४६३, ४९६ नोट, २६१ हस्तिपालगण ३७४ हिरिमंथ (हरिमंथ ? १३३; गोल चना) हस्तियूथ ९७ १२४ हस्तिव्रत ( साधु) ४१३ नोट हिरिमिक्ख (हिरडिक्क) ४३३ हस्तिशाला (जडुशाला) १०० हीरविजयसूरि ४७० हस्तिशीर्ष ५०५ हुँबउट्ठ (कमण्डलधारी) ४१३ हाथ के कारीगर १४९, १५० हुएनसांग ४६२, ४६६, ४६८, ४७१, ४७३, ४७५, ४८०, ४८४ हाथ-पैर आदि का छेदन ८८ हुतवह (रथ्या) १७८ हाथी की आयु (साठ वर्ष)९७, ९७ नोट | हृताहृतप्रकरण ३९७-९८ हाथी के चार प्रकार-भद्र, मन्द, मृग, हेतुशास्त्र २९९ संकीर्ण ९७ हेमकूट ५३ हाथी के दस प्रकार ९७ नोट हेमचन्द्र (कलिकालसर्वज्ञ) २४, ३० हाथीवध का निषेध ९६ नोट, ३१, ९२ नोट, २७३ नोट, हाथियों को पकड़ना १००, १०० नोट ३०४, ४४६, ४६८, ४८१, ५०९ हाथियों का शिकार १३८, १४६ हेमपुर ५३, ४३१ हाथियों की जातियाँ ९६-९७ हैरण्यक (सुनार )१८७ हाथियों की झुल (उच्चूल) १०० हैहयवंशी (चेटक) ५१३ हाथियों की सजावट ९९ होत्तिय ४१३ हाथियों के अलंकार १०० ह्रद (तालाब) ४६८ ५०५

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