Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan
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शब्दानुक्रमणिका
६१५ सुपार्श्वनाथ ४६८
। सुवर्ण (विषघातक)३१४ सुप्रतिबद्ध २३
सुवर्ण पिलाना ३१५ नोट सुप्रतिष्ठ (नगर) ५७
सुवर्ण बनाना १४५ सुप्रतिष्ठानपुर (प्रतिष्ठानपुर-पोतनपुर) सुवर्णकुड्यक २०७ नोट ४७६
सुवर्णकार-श्रेणी ८७ सुबन्धु (मंत्री) ८६
सुवर्णजटित पीढे, आसन और पलंग सुबाहु (कन्या)३६२
१४३-४ सुबुद्धि २६२ सुब्यभूमि (.सुह्म) ४८५
सुवर्णपट्ट ६२, १४३ सुभद्रा (कृष्ण की भगिनी) ९२ नोट, सुवर्णभूमि (बर्मा) २३, १७४, १७५
नोट, ४६३ २६१ सुभद्रा (स्त्री-रत्न) ९५, ४९७
सुवर्णमाषक १८८, १८८ नोट
सुवर्णरसपान ३५९ सुभद्रा २११ नोट सुभदा (सती) २५२, २५४
सुवर्णस्तूप ४८३ सुभद्रा ३७४
सुवर्णागुलिका (देवदत्ता) ९२, ९२ नोट, सुभद्रा ४४०
२४८, ३४४ नोट, ५१४ सुभूमिभाग १९८, २७४, ३६०, ४५८, सुविधि (चौंतरा) ३३१
| सुवीर ४६९ सुभौम ४९९
सुव्रता (आर्यिका) २८४ सुमंगला (ऋषभदेव की बहन )३, सुषेण (सेनापति ) १०४ ... २६६, ४९३, ४९६
सुसीमा (कृष्ण की रानी)५०३ सुमनोमुख १०६ नोट
सुस्थित ( आचार्य) २३ सुमेरु ४५६, ४५६ नोट
सुस्थित (देव)३५३ सुरंग ३३५
सुहस्ति २२, २३, ४७८, ४८१ सुरंबर (यक्ष) ४४०
सुह्य ४८५, ४८६ सुरप्रिय ( यक्ष) ४४१
सूचक (गुप्तचर ) ६१ सरभिपुर ४८६
सूतक २४३ नोट, ३५० सुरा १९७, १९८, १९९ नोट, २०१, २५९ सूत्रकृतांग ८. ३४, ३४७, ४०५, ४६३ सराष्ट्र (मौराष्ट्र काठियावाड़) ४७२, ४७३ सूना (कसाईखाना) १३४ सुरेन्द्रदत्त ( राजकुमार) ३१९ | सूर (यदु का पुत्र) ५०० सुरूपा ९२, ९२ नोट, २४८ । सूर्य (दो)३०५, ३०५ नोट सुलसा (श्राविका) २५
सूर्यकान्ता (रानी)५८ सुलसा (नाग गृहपति की भार्या) सूर्यपुर ५, ५००
२३६, २३७, ४४०, ५०२ नोट | सूर्यप्रज्ञप्ति २०१, ३०५, ३०७ सुलसा (अनार्य वेदों की की) । सूर्याभदेव का विमान ३३१-३२ २९४ नोट
सूर्योदय (उद्यान) १२८ सुवण्णकार (सुवर्णकार सुनार ) १४२, | सेंध लगाना ७३-४ १६४, १६५
सेंध लगाने के औजार ७३ नोट सुवन्नंगुलिया (सुवर्णागुलिका) | सेंध के प्रकार ७३, ७३ नोट

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